काम संग करवाचौथ
वर्किं ग वूमन के लिए हर दिन चुनौतीपूर्ण होता है। फिर भी वे अपने सारे काम जिम्मेदारी के साथ पूरे करती हैं और साथ ही उन परंपराओं को सहेजती भी हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमारी पहचान साबित होती हैं। हर बार की तरह इस बार भी करवाचौथ का दिन उन सभी वर्किंग वूमन के लिए भी खास है, जिन्हें समय पर ऑफिस के काम तो करना ही है लेकिन करवाचौथ के रीति-रिवाजों का ध्यान रखते हुए इस त्योहार की सारी परंपराएं भी निभानी हैं...
फैशन डिजाइनर पूर्वी सोजतिया के लिए करवाचौथ का विशेष महत्व है। इस दिन के लिए उन्हें पारंपरिक परिधान पहनना पसंद है। करवाचौथ पर वे साड़ी पहनती हैं और वेस्टर्न ड्रेस पसंद करने वाली युवतियों से यह कहना चाहती हैं कि अगर आप करवाचौथ पर भी वेस्टर्न ड्रेसेस पहनना चाहती हैं तो इंडो वेस्टर्न स्टाइल के कपड़े पहनें जो इस अवसर के लिए भी उपयुक्त हैं। पूर्वी अगर अपने बुटिक में व्यस्त हैं तो भी कुछ समय के लिए घर आकर पूजा करती हैं और फिर अपने काम में लग जाती हैं। माडर्न स्टाइल के अनुसार कपड़े पहनने की सलाह वे इस अवसर पर भी देती हैं। आप चाहे जो भी पहनें लेकिन स्टाइलिश बने रहने का भी ख्याल रखें, साथ ही काम के तनाव से दूर रहें और इस त्योहार का मजा लेें। वर्किंग वूमन के पास अपने प्रोफेशन को समय देने के लिए पूरा साल होता है लेकिन हर दिन करवाचौथ जैसा त्योहार नहीं आता जो खासतौर से महिलाओं के लिए ही बना है। तभी तो स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं नि:संतान व टेस्ट ट्यूब बेबी विशेषज्ञ डॉ. वर्षा जैन टाइम मैनेजमेंट को महत्व देती हैं। उनके अनुसार कामकाजी महिलाओं को टाइम मैनेज करना आना चाहिए। अगर वे इस गुण को सीख लेती हैं तो दूसरे कामों के साथ ही हमारे त्योहारों और रीति-रिवाजों को मनाना उनके लिए आसान हो जाता है। हां कई बार अपने प्रोफेशन की वजह से परंपराओं को निभाना आसान नहीं होता। करवाचौथ का व्रत रखकर वे दिनभर मरीजों की सेवा में व्यस्त रहती हैं और रात को अस्पताल के काम निपटाने के बाद व्रत खोलती हैं। वर्षा कहती हैं कि कई बार चांद निकलते ही व्रत खोलना मेरे लिए मुश्किल होता है क्योंकि उस समय मैं मरीजों के साथ होती हूं और वे मेरी प्राथमिकता हैं। फिर ये भी लगता है कि एक बार चांद निकला तो अब रात भर ही दिखेगा इसलिए जल्दबाजी नहीं करती। उनके अनुसार करवाचौथ से पति-पत्नी के भावनात्मक संबंध मजबूत होते हैं। फिर हम चाहे कितने भी व्यस्त क्यों न हों, इन परंपराओं का सम्मान तो सभी को करना चाहिए। रीति-रिवाजों को सहेजने का गुण महिलाओं में पारिवारिक माहौल को देखते हुए अपने आप ही आ जाता है। सफल एंडएवर की डायरेक्टर मनीषा आनंद पति-पत्नी को भावनात्मक रूप से जोड़े रखने का माध्यम करवाचौथ को मानती हैं। उनकी कोशिश होती है कि उस दिन व्रत होने की वजह से अपना काम एक दिन पहले ही पूरा कर लें। मनीषा को अब भी कुछ साल पहले मनाया गया वह करवाचौथ याद है जब रात को अपने काम में व्यस्त होने की वजह से उन्होंने अपने ऑफिस की बिल्डिंग की छत पर ही पति के साथ व्रत खोला था। मनीषा कहती हैं करवाचौथ के दिन पति के लिए व्रत रख लेने से उनकी उम्र लंबी नहीं होती लेकिन मन में एक-दूसरे के प्रति श्रद्धा तो बढ़ती ही है। कुछ महिलाएं दूसरों का दिल दुखाकर व्रत रखती हैं और करवाचौथ से संबंधित सारे रीति-रिवाज पूरे करती हैं। ऐसी महिलाओं के लिए व्रत रखने का कोई महत्व नहीं होता, जबकि व्रत की सार्थकता तो तब बनी रहती है जब कि सी का दिल दुखाए बिना व्रत रखा जाए। किसी को दुख देकर रखा गया व्रत कभी पूरा नहीं होता इसलिए करवाचौथ पर सबकी खुशियों का ख्याल रखें और खुद भी खुश रहेें। एजुकेशन एज की फाउंडर एडिटर अल्पना मिश्रा संयुक्त परिवार में रहती हैं। वे ये मानती हैं कि हर त्योहार की तरह करवाचौथ का मजा संयुक्त परिवार में ज्यादा आता है क्योंकि वहां अधिक लोग होने से खुशियों के मौके बढ़ जाते हैं। वे अपनी देवरानी के साथ मिलकर करवाचौथ की तैयारियां करती हैं। अल्पना कहती हैं आफिस के काम कभी खत्म नहीं होते लेकिन करवाचौथ जैसे त्योहार साल में एक बार ही आते हैं इसलिए इस त्योहार का आनंद लेना चाहिए। अन्य त्योहारों में रिश्तेदारों से मिलने और घर के काम करने में समय निकल जाता है लेकिन करवाचौथ पति के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करने का अच्छा माध्यम है। इस दिन ससुराल के सभी सदस्यों के साथ मिलकर पूजा करने और व्रत रखने का आनंद साल भर याद आता है।
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