शनिवार, 26 अक्टूबर 2013

सियासत की चाह में सेलिब्रिटी


चारों तरफ चुनाव के चर्चे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनैतिक पार्टियां चर्चित चेहरों को अपनी पार्टी में उतार रही हैं। नंदन नीलकेणी बैंगलोर से चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं। रिटायर्ड आर्मी चीफ जनरल वी के सिंह गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच पर मौजूद थे। एथलीट कृष्णा पूनिया कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लडऩे को तैयार हैं और ओलंपिक चैंपियन राज्यवर्धन सिंह राठौर चुनाव लडऩे के कारण सैन्य सेवा से इस्तीफा दे चुके हैं। सच तो यह है कि  राजनीति जो करवाए कम है। किसी ने अपनी नौकरी दांव पर लगा दी तो कोई अपने शानदार फिल्मी कैरियर को छोड़कर राजनैतिक दांवपेंच सीखते देखे जा रहे हैं...
  2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के 52 साल पुराने रिकॉर्ड को तोडऩे वाली डिस्कस थ्रोअर पूनिया ने कांग्रेस के टिकट पर राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया है। नवंबर में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए पूनिया को सदुलपुर से टिकट मिलने की उम्मीद है। एथेंस ओलंपिक्स में भारत को सिल्वर मेडल दिलाने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौर औपचारिक तौर पर बीजेपी के साथ जुड़ गए। ओलंपिक में शूटिंग में भारत को सिल्वर मेडल दिलाने वाले राज्यवर्धन सिंह राठौर ने राजनीति में आगाज करते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया। गौरतलब है कि राठौर ने 2004 में भारत को एथेंस ओलंपिक में डबल ट्रैप शूटिंग में सिल्वर मेडल दिलाया था। राठौर के अनुसार खेलों में जो मेरी उपलब्धि है, वो व्यक्तिगत है लेकिन राजनीति मेरे जीवन को संपूर्णता प्रदान करेगी। सेलिब्रिटीज का राजनीति में पदार्पण नया नहीं है। साल दर साल कई सेलेब्स राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। इस लिस्ट में सुनील दत्त, विनोद खन्ना, धर्मेंद्र, राज बब्बर, शत्रुघ्न सिन्हा, गोविंदा, कीर्ति आजाद और मोहम्मद अजहरउद्दीन का नाम शामिल है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों से भी चुनावी मैदान में उतरने वाले दिग्गजों की कमी नहीं है जैसे आर्मी से बी सी खंडूरी और जे एफ आर जेकब, डिप्लोमेसी से शशि थरूर या विज्ञान जगत से राजा रमन्ना। शत्रुघ्न सिन्हा कहते हैं कि सेलिब्रिटी का राजनीति में आना अपनी मर्जी से विवाह करने जैसा है। इस परंपरा के चलते राजनैतिक पार्टियां लोगों के दिलों पर राज करने वाली इन हस्तियों को अपनी शक्ति मानती हैं और अधिक से अधिक क्षेत्रों में इन्हें उतारने की कोशिश में लगी रहती हैं।
सेलेब्स इसे शोहरत और शक्ति का शॉर्टकट मानते हैं। अब जबकि देश के राजनेताओं को भ्रष्टाचार सहित अपराध और जातिगत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तब उनकी पार्टी में किसी नए सितारे का आगमन ताजी हवा के झोंके की तरह है। यही वजह है कि इंफोसिस के पूर्व सीईओ और विशिष्ट पहचान पत्र प्राधिकरण के अध्यक्ष नंदन नीलकेणी कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। 2012 में फोब्र्स मैगजीन की ओर से सबसे अमीर भारतीयों में शुमार किये गये नीलकेणी अपने गृह राज्य कर्नाटक से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। कहा तो यह जा रहा है कि  कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने खुद नीलकेणी के समक्ष उनकी पार्टी के टिकट पर चुनाव लडऩे की पेशकश की है। कांग्रेस की तरह भाजपा ने राजेश खन्ना और सुनील दत्त को अपनी पार्टी के उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में उतारा था। हालांकि इससे पहले पार्टी के इन सदस्यों की कोई राजनैतिक पृष्ठभूमि नहीं थी लेकिन लोगों के बीच इनकी पॉवर को पहचानते हुए ये फैसला लिया गया। गौरतलब है कि राम जन्मभूमि का मुद्दा जिस समय हावी था, उन्हीं दिनों दूरदर्शन पर रामायण और महाभारत हर घर में देखे जाते थे।  तब राम की भूमिका में अरुण गोविल, सीता की भूमिका में दीपिका और रावण की भूमिका निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी को राजनीति में उतारा गया था। ये बात अलग है कि राजनीति में आने वाले सभी सेलिब्रिटी इस क्षेत्र में सफल नहीं रहे और कई ऐसे भी हैं जिन्होंने जल्दी ही राजनीति से दूरी बना ली। तुलसी के रूप में टीवी पर छाई रहने वाली स्मृति ईरानी ने राजनीति में भी कामयाबी हासिल की। यद्यपि 2004 में वे कपिल सिब्बल से हार गई थीं लेकिन इस हार से उन्हें कोई खास नुकसान नहीं हुआ। वे आज भी उनकी पार्टी की मुख्य सदस्य मानी जाती हैं।
देखा जाए तो सितारों की प्रसिद्धि हर बार राजनैतिक पार्टियों के लिए फायदे का सौदा नहीं होती। 2009 में दक्षिण भारत के मशहूर फिल्म अभिनेता चिरंंजीवी की प्रजा राज्यम पार्टी द्वारा आयोजित रैली में लाखों लोग देखे गए थे लेकिन वर्ष 2009 में हुए विधानसभा चुनावों में चिरंजीवी की पार्टी को 294 में से अठारह सीटों पर विजय प्राप्त हुई। इस सबसे अलग चर्चित चेहरों का ये विश्वास भी कायम है कि राजनीति में आने का लक्ष्य जनता की सेवा करना है इसलिए पार्टी के अन्य सदस्य क्या कर रहे हैं, इसकी वे परवाह नहीं करते। इस बात का समर्थन जयपुर के राजघराने से संबंध रखने वाली दीया कुमारी भी करती हैं जिन्होंने फिलहाल भाजपा में सदस्यता ग्रहण की है। राजनीति क्षेत्र ही ऐसा है जहां जो आज आसमां छूता नजर आता है, वहीं उसे कल जमीन का मुंह देखने में भी देर नहीं लगती। शत्रुघ्न सिन्हा और हेमा मालिनी ऐसे ही नामों में से एक है। वहीं धर्मेंद्र और अजहरुद्दीन राजनेताओं के बीच कभी-कभार देखे जाते हैं। इस बार चुनावी दंगल में कौन से सेलिब्रिटी क्या कमाल दिखाएंगे, ये तो वक्त ही बताएगा।

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