सोमवार, 14 जनवरी 2013


मु_ी में है तकदीर हमारी
दामिनी के इस दुनिया से चले जाने के बाद जो आंधी आई है, उसने देश की हर लड़की को प्रभावित किया है। इसके चलते कहीं उन्हें घर से निकलते समय बैग में मिर्ची पाउडर रखने की सलाह दी जा रही है तो कहीं मार्शल आर्ट सीखकर आत्मरक्षा की बात पर बल दिया जा रहा है। वक्त चाहे करवट जैसे भी ले लेकिन फिर भी इन लड़कियों ने खुद को साबित करने की कसौटी पर खरा उतरने की चाहत हर हाल में पूरी करने की कसम खाई है। 12 जनवरी युवा दिवस पर वे खुद को किसी बंधन में बंधकर नहीं, बल्कि उन्मुक्त रूप से जो है उसी रूप में स्वीकार करते हुए आगे बढऩे की ख्वाहिश जाहिर करती हैं...

कड़ी सजा मिले
दिव्यंका त्रिपाठी, अभिनेत्री, मॉडल
लड़कियों के साथ बढ़ती आपराधिक घटनाओं को रोकने की पहल उन अपराधियों को कड़ी सजा देकर करना चाहिए जिनके गुनाह की सजा मासूम लड़कियां सारी उम्र झेलती हैं। अरब देशों में अगर कोई छेडख़ानी करता है तो उस पर तुरंत कार्रवाई होती है लेकिन हमारे देश की विडंबना यही है कि सख्त कानून न होने के चलते अपराधी खुलेआम घूमते हैं या पकड़े जाने पर भी सजा होने में कई साल लग जाते हैं। पूरे देश में लड़कियों के साथ होने वाले अपराधों को देखते हुए बस यही कहंूगी कि सबकी इज्जत करें लेकिन विश्वास किसी पर न करें। कई बार आपके रिश्तेदार, पड़ोसी या मदद करने वाले लोग ही आपकी मासूमियत का फायदा उठाते हैं इसलिए सतर्क रहना सीखें।

संकल्प लें
- अगर आप शहर से बाहर रहती हों तो विशेष तौर से अपने घर के लोगों से प्रतिदिन संपर्क बनाए रखें। इसका फायदा उस समय भी मिलता है जब आप किसी मुसीबत में हों और उनसे बात न कर पाएं तो उन्हें इसी बात से शक हो जाएगा कि आज आपका फोन नहीं आया है। इसका मतलब यह है कि आप मुश्किल में हैं।
- अगर कहीं बाहर जा रहे हैं तो इस बात की जानकारी अपने करीबी दोस्तों और अभिभावकों को जरूर दें।
आवाज उठाना सीखें
अंशुल के सोनी
डायरेक्टर, एजी8 गु्रप

अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना सीखें। हक की बात करें और अपना हक लेकर रहें। लड़कियों के साथ हो रहे अपराधों को रोकने की पहल सबसे पहले लड़कियों को ही करनी होगी। अगर सेना और पुलिस प्रशासन में लड़कियां अपने साहस का परिचय दे सकती हैं तो हम भी उन्हीं में से एक हैं जिन्हें पूरे आत्मविश्वास के साथ विषम परिस्थितियों में साहस बनाए रखना चाहिए।
संकल्प लें
- अपनी मर्जी से हर काम करने के बजाय घर वालों की सलाह जरूर लें।
-अपनी जिम्मेदारी हर व्यक्ति समझे और उसे अपने स्तर पर निभाने की कोशिश भी करे। हम दूसरों के मामले में क्यों पड़ें या दूसरों की परेशानी से हमें क्या मतलब जैसे विचारों को त्यागकर ये सोचें कि जो किसी दूसरे के साथ हुआ है, वो कभी आपके साथ भी हो सकता है।
हमें भी हक है
सुरभि होम्बल
नृत्यांगना
देश के विकास में जितना योगदान लड़कों ने दिया है, उतना ही लड़कियों का भी है। अगर विकास में भागीदारी दोनों की बराबर है तो फिर परिवार से लेकर समाज और विभिन्न मुद्दों पर लड़कों के पक्ष में बात क्यों की जाती है? अगर लड़कों को आगे बढऩे का हक है तो लड़कियां पीछे क्यों रहें? हां यह भी सच है कि लड़कियां कभी-कभी अपनी सीमा से बाहर हो जाती हैं या पहनावे पर ध्यान नहीं देती। इसके अलावा नशे की लत लड़कियों में जिस तेजी से बढ़ती जा रही है, उसके सेवन से बचें। साथ ही तमाम बंदिशों में खुद को कैद करने के बजाय अपनी सुरक्षा के बारे में खुद सोचें।
संक ल्प लें
- जब बस में कम लोग हों तो न बैठेें।
- ऑटों में भी अकेले बैठने से बचें।
- अगर आपके साथ कोई छेड़छाड़ करे तो जोर से चिल्लाएं ताकि आसपास खड़े लोगों का ध्यान उस ओर आकर्षित हो।   
सोच में बदलाव जरूरी है   
कीर्ति श्रीवास्तव
इंटीरियर डिजाइनर
लड़कियों की सुरक्षा के चाहे जितने उपाय अपना लिए जाएं लेकिन उन सबसे जरूरी है, लड़कों की सोच में बदलाव लाना। लड़कियों को अपने घर में ही सबसे पहले यह समझाया जाता है कि वह कमजोर है और उसका भाई ज्यादा शक्तिशाली। वे खुद को कमजोर समझते हुए ही बड़ी होती हैं और उनकी यही सोच उस वक्त भी बनी रहती है, जब उन पर किसी तरह का अत्याचार होता है। जब ईश्वर ने उनकी क्षमताओं को किसी तरह से कम नहीं आंका है तो लोग क्यों उन्हें अबला समझने की गलती करते हैं। हम जो हैं सो हैं और सबसे बेहतर है, इसी सोच को हर लड़की को अपनाने की जरूरत है।
संकल्प लें
 - आपके साथ हो रही किसी भी तरह की छेडख़ानी को चुप रहकर न सहें।
- ये याद रखें कि हर जगह पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए नहीं पहुंच सकती इसलिए दूसरों के भरोसे रहने के बजाय अपनी रक्षा खुद करना सीखें।
संध्या चंद्राकर
कराटे खिलाड़ी
विक्रम अवार्डी
हमें अपनी बेहतरी के लिए सबसे पहले खुद पर विश्वास रखना होगा। मुश्किल हालातों में परेशानी उस वक्त बढ़ जाती है जब हम घबरा जाते हैं। मैं 19 साल से कराटे सीख रही हूं। कराटे सीखकर हम न सिर्फ खुद की, बल्कि परिवार या अपने आसपास दूसरों की रक्षा भी कर सकते हैं।
संकल्प लें
- हालात चाहे जो भी हों अपना विश्वास डगमगाने न दें।
- हर काम को करने की ताकत आप में है। इसे अपनी सफलता का मूल मंत्र मानकर चलें।

मानसिकता बदलें
बी के संधु
उपनिरीक्षक, थाना हबीबगंज
इंचार्ज, महिला हेल्प लाइन
बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने के लिए लोग लड़कि यों के पहनावे पर पाबंदी लगाने की बात करते हैं लेकिन ये क्यों भूल जाते हैं कि जो लड़कियां सलवार कमीज पहन रही हैं उनके साथ भी बलात्कार हो रहा है या 3-4 साल की लड़कियां भी रैप की शिकार हो रही हैं तो फिर बात पहनावे की कहां है। यहां बात पुरुषों की मानसिकता में बदलाव लाने की होना चाहिए। इसके अलावा आम लोगों का संवेदनशील होना जरूरी है। अगर अपराध करना पाप है तो उसे होते देखकर चुप रहना भी पाप ही है।
विश्वास बनाए रखें
कुमुद सिंह
सचिव, सरोकार
दिल्ली में हुए गैंगरेप के बाद कई बच्चियों के माता-पिता मुझसे कहते हैं कि आप ही बताएं हम बेटियों को पैदा क्यों करें। तो मैं उनसे कहती हूं कि इस डर को निकालकर उन्हें अपनी रक्षा के लिए किस तरह शिक्षित किया जाए, इस बारे में विचार करना चाहिए। अपनी बेटियों को नजरें चुराकर नहीं, बल्कि आत्मविश्वास के साथ नजरें ऊंची करके चलना सिखाएं। कोई भी परेशानी आने पर बिना घबराए उसका सामना करना सिखाएं और उसका संबल बनाए रखने में मदद करें।

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