शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

स्वस्थ रहें
मस्त रहें
केन सपोर्ट संस्था के द्वारा घोषित आंकड़ों के अनुसार आज भारत में ढाई करोड़ लोग कैंसर के मरीज हैं और लगभग एक लाख कैंसर के मरीज हर साल बढऩे से कैंसर से पीडि़तोंं की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी कैंसर को लेकर समाज में कई भ्रांतियां फैली हैं। लोगों में जागरूकता अभी भी कम है जिसकी वजह से कई बार रोगी इस रोग की गंभीरता को समझ ही नहीं पाते। सही समय पर और सही डॉक्टर की देखरेख से कैंसर का इलाज संभव है। इस भयावह बीमारी के बारे में हमने बात की शहर के प्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञों से और जाने उनके अनुभव कुछ इस तरह...

इलाज संभव है
डॉ. श्याम अग्रवाल
कैंसर रोग विशेषज्ञ
डायरेक्टर, नवोदय कैंसर हॉस्पिटल
अगर शरीर में असामान्य लक्षण जैसे मुंह कम खुल रहा हो, खांसी में खून, पेशाब या मल-मूत्र में खून हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि ये सारे कैंसर के लक्षण हैं। लोग यह जानते हैं कि ये सारे कैंसर के लक्षण हैं, लेकिन फिर भी शरीर में असामान्य लक्षण दिखने पर लोग उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे रोग बढ़ जाता है। आश्चर्य तो इस बात का है कि सिगरेट और शराब के विज्ञापन से लेकर इन्हें बेचने वाली दुकानों पर वैधानिक चेतावनी भी लिखी होती है। उसके बाद भी लोग नहीं समझते और दूसरों की देखादेखी इस नेश का सेवन करते रहते हैं। स्कूलों के आसपास 100 मीटर तक तंबाकू की दुकान प्रतिबंधित है। यहां तक कि 18 साल से कम उम्र के व्यक्तियों को तंबाकू या गुटखा बेचने पर भी पाबंदी है। इसी तरह सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीने वालों को 200 रुपए जुर्माने का भी प्रावधान है लेकिन ये सारे नियम सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। इन नियमों की अनदेखी करते हुए अधिकांश गुटखे की दुकानें स्कूलों के आसपास बनी हुई है जहां से विद्यार्थी इन्हें खरीदकर कम उम्र में ही इस नशे के आदी हो जाते हैं। इसी तरह हमारे देश में सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीने वालों को 200 रुपए जुर्माने की सजा का प्रावधान है लेकिन इन स्थानों पर सिगरेट पीना आम है जिसे कोई रोकने वाला नहीं है। अगर हम विदेशों की बात करें तो वहां सार्वजनिक स्थानों पर सिगरेट पीने पर 25000 जुर्माना लगता है इसलिए ऐसे स्थानों पर लोग धूम्रपान करने से डरते हैं लेकिन हमारे देश में अगर कहीं कोई व्यक्ति पकड़ा भी जाता है तो उसे ये मालूम है कि वह 200 रुपए देकर छूट जाएगा। कई सेलिब्रिटी कैंसर का इलाज विदेशों में करवा रहे हैं, जिससे आम लोगों को यह लगता है कि यहां कैंसर की सुविधाएं वहां से कम हैं, जबकि ऐसा नहीं है। जो इलाज युवराज सिंह को विदेशों में मिल रहा है वो कई साल पहले क्रिकेटर जे पी यादव को मैंने यहीं रहते हुए दिया था जिसकी वजह से वे आज भी स्वस्थ हैं और अभी तक क्रिकेट खेल रहे हैं। कुछ समय पहले एक युवती मेरे पास आई थी जिसके एक फेफड़े में पानी भर गया था। उसके बचने की उम्मीद कम थी लेकिन लगातार कुछ महीनों तक इलाज के बाद अब वह पूरी तरह स्वस्थ है।

याद रखें
- कैंसर का इलाज संभव है इसलिए इसे लाइलाज बीमारी समझने की भूल न करें।
- इलाज के दौरान अपने दिमाग का इस्तेमाल करने के बजाय डॉक्टर की राय मानें।

जीवन शैली बदलें
डॉ. सुनील कुमार
डी.एम. मेडिकल ओंकोलॉजिस्ट
जवाहर लाल नेहरू, कैंसर हॉस्पिटल

भोपाल में कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज मुंह के कैंसर के हैं। महिलाओं में गर्भाशय और बच्चेदानी का कैंसर सबसे ज्यादा हो रहा है। लोगों की अनियमित दिनचर्या और खान-पान की गलत आदतों का असर जानलेवा बीमारियों जैसे कैंसर के रूप में सामने आ रहा है। देर से शादी होने और डिलीवरी के बाद बच्चों को स्तनपान न करवाने की वजह से स्तन कैंसर का खतरा महिलाओं को ज्यादा रहता है। आजकल महिलाओं में सिगरेट और शराब पीने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है जो कैंसर के फैलने का मुख्य कारण होता है। इस समय सबसे ज्यादा कैंसर 30 से 60 साल के व्यक्तियों को हो रहा है। इसी उम्र के लोगों पर परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में अगर लोग अपने सेहत की परवाह न करते हुए इस रोग के प्रति सतर्क नहीं रहते हैं तो पूरा परिवार इस गलती का खामियाजा भुगतता है। बच्चों में लिम्फोमा, ल्यूकेमिया और ब्रेन कैंसर अधिक हो रहा है। इसका मुख्य कारण गर्भावस्था के दौरान बार-बार एक्सरे होना या गलत दवाओं का इस्तेमाल होता है। बच्चे के जन्म के बाद भी अगर उसे बार-बार वायरल इंफेक्शन होता है तो कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है।
बरतें सावधानी
- इसका इलाज लंबे समय तक चलता है। इस दौरान मरीजों को धैर्य बनाए रखते हुए सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए।                         
- महिलाओं को गर्भाशय और बच्चेदानी के कैंसर से बचने के लिए पेप्समियर टेस्ट करवाएं।  सरवाइकल कैंसर और हेपेटाइटिस बी से बचने के लिए वैक्सीन बाजार में उपलब्ध है, इन्हें जरूर लगवाएं।

डॉ. प्रशांत कुमार जैन
कैंसर सर्जन
चिरायु हॉस्पिटल
रोबोट पद्धति वरदान है
कैंसर के लिए बनाई गई आधुनिक टारगेटेड थेरेपी के द्वारा बिना किसी साइड इफेक्ट के इलाज संभव है। इसके अलावा कीमोथेरेपी, रेडिएशन, आईएमआरटी और इम्युनोथेरेपी के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकता है। कैंसर के रोगियों के लिए रोबोट पद्धति वरदान साबित हो रही है। इस रोग से बचने के लिए सबसे पहले समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करना होगा। मेरे पास जो मरीज आते हैं, उनमें से कुछ का यह कहना है कि भोपाल के पानी में कैल्शियम की कमी है। इस कमी को पूरा करने के लिए वे तंबाकू के साथ चूना खाते हैं, जबकि ऐसा कुछ नहीं है। हमारे देश में लोगों का किसी भी बीमारी को ठीक करने के लिए देसी दवाएं लेने पर अटूट विश्वास है जिसकी वजह से बीमारी बढऩे का खतरा बना रहता है। मैंने अपनी टीम के साथ 6 महीने से लेकर 86 साल तक के मरीजों के कैंसर को ठीक किया है। एक महिला के मुंह से 13 किलो का ट्यूमर निकाला और उसका सफल इलाज भी किया। इसी तरह एक दूसरे केस में किडनी के ट्यूमर को ठीक किया।

मेरी सलाह है
- इस रोग से बचने के लिए प्रशासन कई सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। कई अस्पतालों में मुफ्त इलाज उपलब्ध है। इन सुविधाओं का फायदा अवश्य उठाएं।
- कैंसर का इलाज किसी कैंसर विशेषज्ञ की देखरेख में ही करवाएं। हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो कैंसर जैसी भयावह बीमारी का इलाज भी विशेषज्ञों की राय के बिना करवाते रहते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि तमाम कोशिशों के बाद भी कैंसर के बारे में जागरूकता की कमी है।

मृत्युदर में कमी आई है
डॉ. टी पी साहू
कैंसर रोग विशेषज्ञ
विभागाध्यक्ष, चिरायु मेडिकल कॉलेज
पहले कैंसर होने पर जिस अंग में कैंसर है उसे शरीर से अलग कर दिया जाता था लेकिन अब आधुनिक तकनीकी की वजह से क्षतिग्रस्त अंग को बचाने पर जोर दिया जाता है। इस तकनीकी की वजह से कैंसर के मरीजों की मृत्युदर में कमी आई है। मेरे पास आष्टा से एक मरीज आया था जिसे फेफड़ों का कैंसर और टीबी दोनों थे। वो वेंटिलेटर पर था। चार महीने तक उसका इलाज जारी रहा। आज वह पूरी तरह स्वस्थ है। इस बीमारी से बचने के लिए सिर्फ कैंसर विशेषज्ञ ही नहीं, बल्कि कैंसर के रोगी के लिए मनोवैज्ञानिक, आहार विशेषज्ञ, सलाहकार और फिजियोथेरेपिस्ट सभी को काम करना होगा।
एहतियात बरतें जैसे-
- कैंसर पूरी तरह से ठीक होने के बाद भी मरीज को इस डिप्रेशन से बाहर आने के लिए मनोवैज्ञानिक से राय लेना चाहिए।
- साइबरनाइस और रेडियो थेरेपी के माध्यम से कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सकता है इसलिए इस बीमारी का पता चलने पर हिम्मत न हारें, बल्कि हिम्मत के साथ इलाज करवाने पर ध्यान दें।
भ्रांतियों को मिटाएं
डॉ. रवि गुप्ता
कैंसर सर्जन
डायरेक्टर, लेक सिटी हॉस्पिटल
अगर मुंह में छाले हों, लंबे समय तक खांसी या बुखार आए और शरीर के किसी भी अंग से असामान्य रक्तस्राव हो तो इन्हें कैंसर के लक्षण समझते हुए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कई लोग यह मानते हैं कि कैंसर का इलाज बहुत महंगा है, जबकि ऐसा नहीं है। कुछ लोगों को लगता है कि बायोप्सी होने से कैंसर सारे शरीर में फैल जाता है और इसलिए वे बायोप्सी करवाना नहीं चाहते, जबकि बायोप्सी इसलिए की जाती है ताकि क्षतिग्रस्त ऊतकों को फैलने से रोका जा सके।

याद रखें
- कैंसर के मरीज के साथ रहने से अन्य व्यक्ति को भी कैंसर हो जाता है, जैसी भ्रांतियां दिमाग से निकाल दें।
- लोगों की कही बात पर विश्वास करने के बजाय कैंसर रोग विशेषज्ञ पर विश्वास करें और उसी के अनुसार उचित इलाज करवाएं।

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