छोटे शहरों के लाल
करेंगे वल्र्ड कप में कमाल
इस बार विश्वकप में जिन भारतीय खिलाडिय़ों का चयन हुआ है, उनमें से अधिकांश खिलाड़ी भारत के छोटे
शहरों से हैं। ये वे खिलाड़ी है जिन्होंने पिछले कुछ सालों में क्रिकेट मैचों के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर अपनी योग्यता जाहिर की है। एक बार फिर देश की 125 करोड़ जनता की उम्मीदें धोनी और उनकी टीम से हैं। अब देखना यह है कि इस विश्व कप के दौरान अधिकांश छोटे शहरों से आए धुरंधर खिलाड़ी क्या अपने देश को विश्व कप दिला सकेंगे...
झारखण्ड के रांची जैसे छोटे शहर के निवासी महेंद्र सिंह धोनी कभी गेंद पर पूरी ताकत से प्रहार कर उसे सीमा रेखा से बाहर भेजते हुए या कभी विकेट कीपर की सामान्य कद काठी से जुदा अपने गठीले बदन से गेंद की दिशा में छलांग लगाते हुए क्रिकेट मैच के दौरान देखे जाते हैं। कभी अखबार के पन्नों पर छपे विज्ञापनों में तो कभी टेलीविजन स्क्रीन पर धोनी छाए रहते हैं। क्रिकेट की सीमारेखा के आर-पार महेंद्र सिंह धोनी की ये छवियां एक आम भारतीय के मन में कभी ना कभी दस्तक जरूर देती हैं। इस तरह महेंद्र सिंह धोनी बीते एक दशक में भारत के सबसे कामयाब क्रिकेटर रहे हैं। इस एक दशक के दौरान उनका हर अंदाज स्टाइल बन गया। आज भी पार्थिव पटेल,अजय रातरा और दिनेश कार्तिक जैसे युवा दिग्गज खिलाड़ी उन्हीं के दिखाए हुए रस्ते पर चलना पसंद करते हैं।
2007 में वनडे कॅरियर की शुरुआत करने वाले रोहित गुरुनाथ शर्मा महाराष्टï्र के नागपुर में जन्में है। रोहित उन चुनिंदा खिलाडिय़ों में से हैं, जिनकी तारीफ करने वालों की कमी नहीं है। साथ ही इस विश्व कप में भी उनसे कई आशाएं की जा रही है। उनके खेल के स्टाइल और तकनीक का कमाल यह है कि जब वो 2007-08 में ट्राई सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया गए थे तो पूर्व क्रिकेटर इयान चैपल ने उन्हें आने वाले दौर में विश्व क्रिकेट का सबसे करिश्माई बल्लेबाज बताया था। कमेंट्री बॉक्स में रमीज राजा से लेकर सुनील गावस्कर तक और ड्रेसिंग रूम में तेंदुलकर से लेकर धोनी इस युवा बल्लेबाज की प्रतिभा का कायल रहा है। मुंबई से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले रोहित ने वह समय भी देखा है जब उनके पास फीस भरने के पैसे भी नहीं हुआ करते थे। ये रोहित का क्रिकेट के प्रति जूनून ही था कि स्कूल टूर्नामेंट में कई बेहतरीन प्रदर्शन के बाद रोहित को मुंबई अंडर-20 के चुन लिया गया। ये रोहित की योग्यता ही थी कि आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स ने रोहित को खिलाने के लिए तीन करोड़ से ज्यादा की बोली लगाई। रोहित की लोकप्रियता का अंदाजा लगाने के लिए ये काफी है लेकिन रोहित की मां और उनके कोच की माने तो इन सब के बावजूद रोहित में कोई बदलाव नहीं आया। आज ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के बाद भी अपनी तंगहाली के दिल वे कभी नहीं भुलते।
टीम इंडिया की सनसनी उमेश यादव नागपुर के रहने वाले हैं। कभी खेतों में काम करने वाले उमेश यादव ने क्रिकेट में पदार्पण किया और फिर टीम इंडिया की जरूरत बन गए। उमेश यादव टीम इंडिया के स्ट्राईक गेंदबाज हैं। पिछले एक साल में कप्तान धोनी का भरोसा उन पर बहुत बढ़ा है। टीम इंडिया को इस विश्वकप को जिताने में गेंदबाजों का बहुत अहम रोल होने वाला है। उसमें उमेश यादव की स्टीक लाईन-लेंथ और तेज गेंदबाजी भारत के विश्व कप का सपना पूरा कर सकती है। उमेश यादव टीम इंडिया के ऐसे गेंदबाज है जिनके नाम वनडे क्रिकेट में 154.8 किमी/प्रतिघंटे की गेंद भी दर्ज है।
कहते हैं प्रतिभाएं जगह की मौहताज नहीं होती। यह बात मोहम्मद शमी के लिए सटीक है।
उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जैसे छोटे से शहर समीप के गांव से निकलकर टीम इंडिया का हिस्सा बने मोहम्मद शमी ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। शमी के सिर पर क्रिकेट का जुनून इस कदर हावी था कि वह अपने कोच बदरुद्दीन के साथ गांव से ट्रेन में बैठकर मुरादाबाद आते और यहां पर क्रिकेट का अभ्यास करते। जब कोचिंग लेने का समय समाप्त हो जाता तब भी वे नेट्स पर ट्रेनिंग लिया करते थे। बाद में यही कड़ी मेहनत रंग लाई। प्रतिभा होने के बावजूद उन्हें जब उत्तरप्रदेश की टीम में जगह नहीं मिली तो वे अपना भाग्य आजमाने के लिए बंगाल चले गए। उत्तरप्रदेश के क्लबों में उन्होंने जो कुछ सीखा था, उसका असर जल्दी ही दिखने लगा और वे बंगाल की टीम की गेंदबाजी के प्रमुख अस्त्र बन गए।
अपने शहर का नाम आज विश्व भर मे रोशन करने वाले ऐसे ही महान क्रिकेटर हैं सुरेश रैना। उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में सुरेश रैना का जन्म हुआ और यहीं वे पले-बढ़े। रैना भारत के एक मात्र ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने टेस्ट, वनडे और टी-20 में टीम इंडिया की तरफ से शतक ठोका है। इस विश्व कप के लिए रैना कहते हैं यह नया टूर्नामेंट है और हम अच्छे प्रदर्शन को तत्पर हैं। हम जीत के भूखे हैं और विश्व कप से बड़ा कोई टूर्नामेंट नहीं हो सकता। हम पाजीटिव सोच के साथ एक दूसरे के साथ का लुत्फ उठाते हुए मैदान में शानदार प्रदर्शन करेंगे।
गुजरात के नाडियाद का रहने वाला अक्षर पटेल बायें हाथ के एक अच्छे बल्लेबाज के साथ-साथ बायें हाथ के स्पिनर भी हैं। अक्षर को 2013 में आइपीएल की मुंबई इंडियन टीम के लिए चुना गया और 2014 में पंजाब की टीम के लिए उनका चयन हुआ। इस होनहार खिलाड़ी पर चयनकर्ताओं समेत खुद कप्तान धोनी को काफी भरोसा है।
मेरठ में रहने वाले भुवनेश्वर कुमार चैंपियंस ट्रॉफी और वेस्टइंडीज में अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ चुके है। सच तो यह है कि भुवनेशवर की कहानी भारत के छोटे शहरों से आने वाले खिलाडिय़ों की कामयाबी जैसी ही है जिनके बारे में यूपी रणजी टीम के बल्लेबाज उमंग शर्मा का कहना है कि वो भले ही मेरा साथी है लेकिन उसने मुझे ये उम्मीद दी है कि मैं भी भारतीय टीम में खेल सकता हूं।
वल्लभगढ़, हरियाणा में जन्में मोहित शर्मा आईपीएल व रणजी ट्राफी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं। वे रणजी ट्राफी में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर इंडिया का लीडिंग विकेट टेकर गेंंदबाज बने और उसके बाद आईपीएल में भी उन्होंने अपनी ओर से उत्कृष्ट प्रदर्शन दिया। गुजरात के जामनगर का प्रतिनिधित्व करते हैं रविंद्र जडेजा। रविन्द्र जब 17 साल के थे तभी उनकी मां लता बेन का एक सड़क हादसे में निधन हो गया। लता बेन का सपना था की उनका बेटा एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से खेले। जिस समय लता बेन का देहांत हुआ उसी दौरान रविन्द्र का चयन अंडर 19 वल्र्ड कप की टीम में हुआ था लेकिन मां के देहांत के बाद रविन्द्र का पूरा ध्यान क्रिकेट से हट गया तब उनकी बड़ी बहन नैना ने याद दिलाया की मां उन्हें भारतीय टीम में देखना चाहती थी। इसके बाद रविन्द्र ने क्रिकेट पर फोकस किया और वह मां के सपने को पूरा करने में सफल हुए।
करेंगे वल्र्ड कप में कमाल
इस बार विश्वकप में जिन भारतीय खिलाडिय़ों का चयन हुआ है, उनमें से अधिकांश खिलाड़ी भारत के छोटे
शहरों से हैं। ये वे खिलाड़ी है जिन्होंने पिछले कुछ सालों में क्रिकेट मैचों के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर अपनी योग्यता जाहिर की है। एक बार फिर देश की 125 करोड़ जनता की उम्मीदें धोनी और उनकी टीम से हैं। अब देखना यह है कि इस विश्व कप के दौरान अधिकांश छोटे शहरों से आए धुरंधर खिलाड़ी क्या अपने देश को विश्व कप दिला सकेंगे...
झारखण्ड के रांची जैसे छोटे शहर के निवासी महेंद्र सिंह धोनी कभी गेंद पर पूरी ताकत से प्रहार कर उसे सीमा रेखा से बाहर भेजते हुए या कभी विकेट कीपर की सामान्य कद काठी से जुदा अपने गठीले बदन से गेंद की दिशा में छलांग लगाते हुए क्रिकेट मैच के दौरान देखे जाते हैं। कभी अखबार के पन्नों पर छपे विज्ञापनों में तो कभी टेलीविजन स्क्रीन पर धोनी छाए रहते हैं। क्रिकेट की सीमारेखा के आर-पार महेंद्र सिंह धोनी की ये छवियां एक आम भारतीय के मन में कभी ना कभी दस्तक जरूर देती हैं। इस तरह महेंद्र सिंह धोनी बीते एक दशक में भारत के सबसे कामयाब क्रिकेटर रहे हैं। इस एक दशक के दौरान उनका हर अंदाज स्टाइल बन गया। आज भी पार्थिव पटेल,अजय रातरा और दिनेश कार्तिक जैसे युवा दिग्गज खिलाड़ी उन्हीं के दिखाए हुए रस्ते पर चलना पसंद करते हैं।
2007 में वनडे कॅरियर की शुरुआत करने वाले रोहित गुरुनाथ शर्मा महाराष्टï्र के नागपुर में जन्में है। रोहित उन चुनिंदा खिलाडिय़ों में से हैं, जिनकी तारीफ करने वालों की कमी नहीं है। साथ ही इस विश्व कप में भी उनसे कई आशाएं की जा रही है। उनके खेल के स्टाइल और तकनीक का कमाल यह है कि जब वो 2007-08 में ट्राई सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया गए थे तो पूर्व क्रिकेटर इयान चैपल ने उन्हें आने वाले दौर में विश्व क्रिकेट का सबसे करिश्माई बल्लेबाज बताया था। कमेंट्री बॉक्स में रमीज राजा से लेकर सुनील गावस्कर तक और ड्रेसिंग रूम में तेंदुलकर से लेकर धोनी इस युवा बल्लेबाज की प्रतिभा का कायल रहा है। मुंबई से अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले रोहित ने वह समय भी देखा है जब उनके पास फीस भरने के पैसे भी नहीं हुआ करते थे। ये रोहित का क्रिकेट के प्रति जूनून ही था कि स्कूल टूर्नामेंट में कई बेहतरीन प्रदर्शन के बाद रोहित को मुंबई अंडर-20 के चुन लिया गया। ये रोहित की योग्यता ही थी कि आईपीएल में डेक्कन चार्जर्स ने रोहित को खिलाने के लिए तीन करोड़ से ज्यादा की बोली लगाई। रोहित की लोकप्रियता का अंदाजा लगाने के लिए ये काफी है लेकिन रोहित की मां और उनके कोच की माने तो इन सब के बावजूद रोहित में कोई बदलाव नहीं आया। आज ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के बाद भी अपनी तंगहाली के दिल वे कभी नहीं भुलते।
टीम इंडिया की सनसनी उमेश यादव नागपुर के रहने वाले हैं। कभी खेतों में काम करने वाले उमेश यादव ने क्रिकेट में पदार्पण किया और फिर टीम इंडिया की जरूरत बन गए। उमेश यादव टीम इंडिया के स्ट्राईक गेंदबाज हैं। पिछले एक साल में कप्तान धोनी का भरोसा उन पर बहुत बढ़ा है। टीम इंडिया को इस विश्वकप को जिताने में गेंदबाजों का बहुत अहम रोल होने वाला है। उसमें उमेश यादव की स्टीक लाईन-लेंथ और तेज गेंदबाजी भारत के विश्व कप का सपना पूरा कर सकती है। उमेश यादव टीम इंडिया के ऐसे गेंदबाज है जिनके नाम वनडे क्रिकेट में 154.8 किमी/प्रतिघंटे की गेंद भी दर्ज है।
कहते हैं प्रतिभाएं जगह की मौहताज नहीं होती। यह बात मोहम्मद शमी के लिए सटीक है।
उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जैसे छोटे से शहर समीप के गांव से निकलकर टीम इंडिया का हिस्सा बने मोहम्मद शमी ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। शमी के सिर पर क्रिकेट का जुनून इस कदर हावी था कि वह अपने कोच बदरुद्दीन के साथ गांव से ट्रेन में बैठकर मुरादाबाद आते और यहां पर क्रिकेट का अभ्यास करते। जब कोचिंग लेने का समय समाप्त हो जाता तब भी वे नेट्स पर ट्रेनिंग लिया करते थे। बाद में यही कड़ी मेहनत रंग लाई। प्रतिभा होने के बावजूद उन्हें जब उत्तरप्रदेश की टीम में जगह नहीं मिली तो वे अपना भाग्य आजमाने के लिए बंगाल चले गए। उत्तरप्रदेश के क्लबों में उन्होंने जो कुछ सीखा था, उसका असर जल्दी ही दिखने लगा और वे बंगाल की टीम की गेंदबाजी के प्रमुख अस्त्र बन गए।
अपने शहर का नाम आज विश्व भर मे रोशन करने वाले ऐसे ही महान क्रिकेटर हैं सुरेश रैना। उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में सुरेश रैना का जन्म हुआ और यहीं वे पले-बढ़े। रैना भारत के एक मात्र ऐसे क्रिकेटर हैं जिन्होंने टेस्ट, वनडे और टी-20 में टीम इंडिया की तरफ से शतक ठोका है। इस विश्व कप के लिए रैना कहते हैं यह नया टूर्नामेंट है और हम अच्छे प्रदर्शन को तत्पर हैं। हम जीत के भूखे हैं और विश्व कप से बड़ा कोई टूर्नामेंट नहीं हो सकता। हम पाजीटिव सोच के साथ एक दूसरे के साथ का लुत्फ उठाते हुए मैदान में शानदार प्रदर्शन करेंगे।
गुजरात के नाडियाद का रहने वाला अक्षर पटेल बायें हाथ के एक अच्छे बल्लेबाज के साथ-साथ बायें हाथ के स्पिनर भी हैं। अक्षर को 2013 में आइपीएल की मुंबई इंडियन टीम के लिए चुना गया और 2014 में पंजाब की टीम के लिए उनका चयन हुआ। इस होनहार खिलाड़ी पर चयनकर्ताओं समेत खुद कप्तान धोनी को काफी भरोसा है।
मेरठ में रहने वाले भुवनेश्वर कुमार चैंपियंस ट्रॉफी और वेस्टइंडीज में अपनी कामयाबी का झंडा गाड़ चुके है। सच तो यह है कि भुवनेशवर की कहानी भारत के छोटे शहरों से आने वाले खिलाडिय़ों की कामयाबी जैसी ही है जिनके बारे में यूपी रणजी टीम के बल्लेबाज उमंग शर्मा का कहना है कि वो भले ही मेरा साथी है लेकिन उसने मुझे ये उम्मीद दी है कि मैं भी भारतीय टीम में खेल सकता हूं।
वल्लभगढ़, हरियाणा में जन्में मोहित शर्मा आईपीएल व रणजी ट्राफी में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं। वे रणजी ट्राफी में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर इंडिया का लीडिंग विकेट टेकर गेंंदबाज बने और उसके बाद आईपीएल में भी उन्होंने अपनी ओर से उत्कृष्ट प्रदर्शन दिया। गुजरात के जामनगर का प्रतिनिधित्व करते हैं रविंद्र जडेजा। रविन्द्र जब 17 साल के थे तभी उनकी मां लता बेन का एक सड़क हादसे में निधन हो गया। लता बेन का सपना था की उनका बेटा एक दिन भारतीय क्रिकेट टीम की तरफ से खेले। जिस समय लता बेन का देहांत हुआ उसी दौरान रविन्द्र का चयन अंडर 19 वल्र्ड कप की टीम में हुआ था लेकिन मां के देहांत के बाद रविन्द्र का पूरा ध्यान क्रिकेट से हट गया तब उनकी बड़ी बहन नैना ने याद दिलाया की मां उन्हें भारतीय टीम में देखना चाहती थी। इसके बाद रविन्द्र ने क्रिकेट पर फोकस किया और वह मां के सपने को पूरा करने में सफल हुए।
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