सोमवार, 14 जनवरी 2013


मु_ी में है तकदीर हमारी
दामिनी के इस दुनिया से चले जाने के बाद जो आंधी आई है, उसने देश की हर लड़की को प्रभावित किया है। इसके चलते कहीं उन्हें घर से निकलते समय बैग में मिर्ची पाउडर रखने की सलाह दी जा रही है तो कहीं मार्शल आर्ट सीखकर आत्मरक्षा की बात पर बल दिया जा रहा है। वक्त चाहे करवट जैसे भी ले लेकिन फिर भी इन लड़कियों ने खुद को साबित करने की कसौटी पर खरा उतरने की चाहत हर हाल में पूरी करने की कसम खाई है। 12 जनवरी युवा दिवस पर वे खुद को किसी बंधन में बंधकर नहीं, बल्कि उन्मुक्त रूप से जो है उसी रूप में स्वीकार करते हुए आगे बढऩे की ख्वाहिश जाहिर करती हैं...

कड़ी सजा मिले
दिव्यंका त्रिपाठी, अभिनेत्री, मॉडल
लड़कियों के साथ बढ़ती आपराधिक घटनाओं को रोकने की पहल उन अपराधियों को कड़ी सजा देकर करना चाहिए जिनके गुनाह की सजा मासूम लड़कियां सारी उम्र झेलती हैं। अरब देशों में अगर कोई छेडख़ानी करता है तो उस पर तुरंत कार्रवाई होती है लेकिन हमारे देश की विडंबना यही है कि सख्त कानून न होने के चलते अपराधी खुलेआम घूमते हैं या पकड़े जाने पर भी सजा होने में कई साल लग जाते हैं। पूरे देश में लड़कियों के साथ होने वाले अपराधों को देखते हुए बस यही कहंूगी कि सबकी इज्जत करें लेकिन विश्वास किसी पर न करें। कई बार आपके रिश्तेदार, पड़ोसी या मदद करने वाले लोग ही आपकी मासूमियत का फायदा उठाते हैं इसलिए सतर्क रहना सीखें।

संकल्प लें
- अगर आप शहर से बाहर रहती हों तो विशेष तौर से अपने घर के लोगों से प्रतिदिन संपर्क बनाए रखें। इसका फायदा उस समय भी मिलता है जब आप किसी मुसीबत में हों और उनसे बात न कर पाएं तो उन्हें इसी बात से शक हो जाएगा कि आज आपका फोन नहीं आया है। इसका मतलब यह है कि आप मुश्किल में हैं।
- अगर कहीं बाहर जा रहे हैं तो इस बात की जानकारी अपने करीबी दोस्तों और अभिभावकों को जरूर दें।
आवाज उठाना सीखें
अंशुल के सोनी
डायरेक्टर, एजी8 गु्रप

अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना सीखें। हक की बात करें और अपना हक लेकर रहें। लड़कियों के साथ हो रहे अपराधों को रोकने की पहल सबसे पहले लड़कियों को ही करनी होगी। अगर सेना और पुलिस प्रशासन में लड़कियां अपने साहस का परिचय दे सकती हैं तो हम भी उन्हीं में से एक हैं जिन्हें पूरे आत्मविश्वास के साथ विषम परिस्थितियों में साहस बनाए रखना चाहिए।
संकल्प लें
- अपनी मर्जी से हर काम करने के बजाय घर वालों की सलाह जरूर लें।
-अपनी जिम्मेदारी हर व्यक्ति समझे और उसे अपने स्तर पर निभाने की कोशिश भी करे। हम दूसरों के मामले में क्यों पड़ें या दूसरों की परेशानी से हमें क्या मतलब जैसे विचारों को त्यागकर ये सोचें कि जो किसी दूसरे के साथ हुआ है, वो कभी आपके साथ भी हो सकता है।
हमें भी हक है
सुरभि होम्बल
नृत्यांगना
देश के विकास में जितना योगदान लड़कों ने दिया है, उतना ही लड़कियों का भी है। अगर विकास में भागीदारी दोनों की बराबर है तो फिर परिवार से लेकर समाज और विभिन्न मुद्दों पर लड़कों के पक्ष में बात क्यों की जाती है? अगर लड़कों को आगे बढऩे का हक है तो लड़कियां पीछे क्यों रहें? हां यह भी सच है कि लड़कियां कभी-कभी अपनी सीमा से बाहर हो जाती हैं या पहनावे पर ध्यान नहीं देती। इसके अलावा नशे की लत लड़कियों में जिस तेजी से बढ़ती जा रही है, उसके सेवन से बचें। साथ ही तमाम बंदिशों में खुद को कैद करने के बजाय अपनी सुरक्षा के बारे में खुद सोचें।
संक ल्प लें
- जब बस में कम लोग हों तो न बैठेें।
- ऑटों में भी अकेले बैठने से बचें।
- अगर आपके साथ कोई छेड़छाड़ करे तो जोर से चिल्लाएं ताकि आसपास खड़े लोगों का ध्यान उस ओर आकर्षित हो।   
सोच में बदलाव जरूरी है   
कीर्ति श्रीवास्तव
इंटीरियर डिजाइनर
लड़कियों की सुरक्षा के चाहे जितने उपाय अपना लिए जाएं लेकिन उन सबसे जरूरी है, लड़कों की सोच में बदलाव लाना। लड़कियों को अपने घर में ही सबसे पहले यह समझाया जाता है कि वह कमजोर है और उसका भाई ज्यादा शक्तिशाली। वे खुद को कमजोर समझते हुए ही बड़ी होती हैं और उनकी यही सोच उस वक्त भी बनी रहती है, जब उन पर किसी तरह का अत्याचार होता है। जब ईश्वर ने उनकी क्षमताओं को किसी तरह से कम नहीं आंका है तो लोग क्यों उन्हें अबला समझने की गलती करते हैं। हम जो हैं सो हैं और सबसे बेहतर है, इसी सोच को हर लड़की को अपनाने की जरूरत है।
संकल्प लें
 - आपके साथ हो रही किसी भी तरह की छेडख़ानी को चुप रहकर न सहें।
- ये याद रखें कि हर जगह पुलिस आपकी सुरक्षा के लिए नहीं पहुंच सकती इसलिए दूसरों के भरोसे रहने के बजाय अपनी रक्षा खुद करना सीखें।
संध्या चंद्राकर
कराटे खिलाड़ी
विक्रम अवार्डी
हमें अपनी बेहतरी के लिए सबसे पहले खुद पर विश्वास रखना होगा। मुश्किल हालातों में परेशानी उस वक्त बढ़ जाती है जब हम घबरा जाते हैं। मैं 19 साल से कराटे सीख रही हूं। कराटे सीखकर हम न सिर्फ खुद की, बल्कि परिवार या अपने आसपास दूसरों की रक्षा भी कर सकते हैं।
संकल्प लें
- हालात चाहे जो भी हों अपना विश्वास डगमगाने न दें।
- हर काम को करने की ताकत आप में है। इसे अपनी सफलता का मूल मंत्र मानकर चलें।

मानसिकता बदलें
बी के संधु
उपनिरीक्षक, थाना हबीबगंज
इंचार्ज, महिला हेल्प लाइन
बलात्कार जैसे अपराधों को रोकने के लिए लोग लड़कि यों के पहनावे पर पाबंदी लगाने की बात करते हैं लेकिन ये क्यों भूल जाते हैं कि जो लड़कियां सलवार कमीज पहन रही हैं उनके साथ भी बलात्कार हो रहा है या 3-4 साल की लड़कियां भी रैप की शिकार हो रही हैं तो फिर बात पहनावे की कहां है। यहां बात पुरुषों की मानसिकता में बदलाव लाने की होना चाहिए। इसके अलावा आम लोगों का संवेदनशील होना जरूरी है। अगर अपराध करना पाप है तो उसे होते देखकर चुप रहना भी पाप ही है।
विश्वास बनाए रखें
कुमुद सिंह
सचिव, सरोकार
दिल्ली में हुए गैंगरेप के बाद कई बच्चियों के माता-पिता मुझसे कहते हैं कि आप ही बताएं हम बेटियों को पैदा क्यों करें। तो मैं उनसे कहती हूं कि इस डर को निकालकर उन्हें अपनी रक्षा के लिए किस तरह शिक्षित किया जाए, इस बारे में विचार करना चाहिए। अपनी बेटियों को नजरें चुराकर नहीं, बल्कि आत्मविश्वास के साथ नजरें ऊंची करके चलना सिखाएं। कोई भी परेशानी आने पर बिना घबराए उसका सामना करना सिखाएं और उसका संबल बनाए रखने में मदद करें।
कॉफी कल्चर


कॉफी हाउस में कॉफी की महक, वेटर का वो सादा लिबास, सिर पर ताज की तरह सजती नेहरू टोपी और सबसे अहम विचारधाराओं के संगम की अवधारणा को लिए तरह-तरह के लोगों के मिलने की लोकतांत्रित जगह कॉफी हाउस ही है। ठंड के मौसम में गर्म-गर्म कॉफी और गपशप के बीच कॉफी हाउस में युवाओं के बीच चलती बातचीत का दौर या साहित्यकारों की गोष्ठियों का माहौल देखते ही बनता है। इसकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए कॉफी हाउस की तरह विदेशी ब्रांड के कॉफी शॉप छोटे शहरों में अपना रंग जमा रहे हैं। युवाओं और विद्वानों ने मिलकर कॉफी कल्चर को बनाए रखने में खासा योगदान दिया है...

कॉफी की लोकप्रियता हमेशा से ही गपशप और सृजनात्मक गतिविधियों से जुड़ी देखने को मिली है। गौरतलब है कि भारत के ख्यात लेखन, रंगमंच और अध्ययन-अध्यापन से जुड़े व्यक्तियों ने कॉफी हाउस में बैठ कॉफी के प्याले के साथ ही रचनात्मक कार्य किए हैं। ब्रितानी लेखिका जेके रॉलिंग्स ने स्थानीय कॉफी शॉप में हैरी पॉटर सीरीज की अधिकतर किताबों का लेखन किया था। यहां तक कि बड़ी क्रांतियों या आंदोलन के सूत्रपात्र में भी कॉफी आउटलेट ने मुख्य भूमिका निभाई। 60 के दशक के मध्य से फैला बंगाल का नक्सलवादी आंदोलन कॉफी हाउस में ही विस्तृत हुआ था। साथ ही 1695 में फ्रांस की राज्य क्रांति की जड़ें पर्शियन कैफे से जुड़ी थीं। चाहे जो कहिए, लोकप्रियता ने लीक से हटकर रंग लेना भी शुरू किया और कॉफी हाउस की तरह विदेशी ब्रांड के कॉफी शॉप मेट्रो सिटीज में खुलने लगे। वर्तमान युवा पीढ़ी ने इन्हीं कॉफी हाउस को गपशप का केंद्र बनाया। कॉफी शॉप अपनी अत्याधुनिक आंतरिक सज्जा और जंक फूड्स व कॉफी की कई वैराइटीज की वजह से युवाओं में पैठ बनाने में सफल रही हैं। 1990 के दशक में इंटरनेट एक्सेस करने और कॉफी का लुत्फ उठाने के बहाने कॉफी शॉप्स ने नया रूप साइबर कैफे का ले लिया। एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि इन्हीं स्थानों पर कई बड़े साइबर अपराध कॉफी के घंूट के साथ अंजाम दिए जाते हैं।

बॉक्स में
हर उम्र के लोग कॉफी हाउस में आते हैं। फिल्टर कॉफी पीने के अलावा यहां आने वालों को मसाला डोसा और सांभर वड़े का स्वाद पसंद आता है। शहर में चाहे कितने ही नए रेस्टोरेंट खुल जाएं लेकिन इंडियन कॉफी हाउस में आने वाले लोगों की संख्या में कभी कमी नहीं होती। इसकी वजह खाने की अच्छी गुणवत्ता और यहां का माहौल है।
एम बी हरिदास
एडीशनल जनरल मैनेजर
इंडियन कॉफी हाउस, बोर्ड हाउस चौराहा

इंडियन कॉफी हाउस में जाने के ऐसे कई शौकीन लोग शहर में मौजूद हैं जिनका दिन कॉफी हाउस में जाए बिना पूरा नहीं होता। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं प्रसिद्ध साहित्यकार उद्यन वाजपेयी। उद्यन कॉफी हाउस के महत्व को अपने शब्दों में कुछ इस तरह बयां करते हैं। कॉफी हाउस ऐसी लोकतांत्रिक जगह है जहां सबके साथ समान व्यवहार होता है। रेस्टोरेंंट के माहौल से कॉफी हाउस का माहौल बिल्कुल अलग होता है। मैं पिछले तीन साल से लगभग रोज ही कॉफी हाउस में जाता हूं। वहां कभी दोस्तों के साथ बातचीत तो कभी किताब लिखने या अन्य लेखकों की किताब पढऩे में समय बीतता है। अगर किसी से मिलना हो तो इससे अच्छी जगह कोई और नहीं होती। वैसे तो कॉफी हाउस की संस्कृति बहुत पुरानी है। इंग्लैंड और फ्रांस में बड़ी बहसें कॉफी हाउस में ही हुआ करती थीं। हमारे देश में जब यह संस्कृति पनपी तो राम मनोहर लोहिया जैसे महान राजनीतिज्ञ कॉफी हाउस में ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात करने के लिए लोगों को बुलाते थे। उसके बाद कॉफी हाउस में लेखक, पत्रकार और चित्रकारों ने अपना समय बिताना शुरू किया। उद्यन वाजपेयी ने जाने-माने फिल्मकार मनीकौल के साथ एक फिल्म की पटकथा न्यू मार्केट स्थित कॉफी हाउस में बैठकर ही लिखी थी। कॉफी हाउस का मतलब अगर साहित्यकारों के लिए चिंतन-मनन का अच्छा केंद्र है तो युवाओं के लिए कम पैसों में फुल इंटरटेनमेंट की यह सस्ती और सुलभ जगह है। एक्सीलेंस कॉलेज के बीकॉम सेकंड ईयर के विद्यार्थी पलाश जैन कहते हैं कि अपने दोस्तों के साथ अगर मस्ती करने का मूड हो तो कॉफी हाउस की कोने वाली सीट सबसे अच्छी जगह होती है। वहां आपको परेशान करने वाला कोई नहीं होता। इसी तरह गर्लफ्रेंड को मनाने या वेलेंटाइन डे से लेकर फ्रेंडशिप डे पर हमारा वक्त इन्हीं कॉफी हाउस में फिल्टर कॉफी और कटलेट का आनंद लेते हुए बीतता है। इस सदी की महान लेखिका जे के रोलिंग को कॉफी हाउस के माहौल ने इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपनी किताबों का अधिकांश भाग वहीं बैठ कर पूरा किया। प्रसिद्ध चित्रकार अखिलेश की कॉफी हाउस से कॉलेज के दिनों की यादें जुड़ी हुई हैं। उन दिनों वे इंदौर में कॉलेज के पास स्थित कॉफी हाउस में वक्त बिताते थे। वे कहते हैं कि कॉफी हाउस में धड़कता हुआ जीवन दिखाई देता है। अगर किसी विषय पर दोस्तों की सलाह चाहिए तो उनके साथ कॉफी की चुस्कियों के बीच बैठकर देर तक बातचीत का दौर चलता रहता है। इस सार्वजनिक जगह पर भी एक तरफ बैठकर एकांत का अहसास होता है। बिजनेस वूमेन मानसी के लिए कॉफी हाउस अगर अपने कलीग के साथ डीलिंग करने की अच्छी जगह है तो शहर में मौजूद किटी पार्टियों की शौकीन महिलाएं यहां बैठकर इन पार्टियों को अंजाम देना पसंद करती हैं। कभी ताश के पत्तों के बीच समय बिताने या कभी सहेलियों की गॉसिप के लिए कॉफी हाउस को मुफीद जगह माना गया है। प्रसिद्ध कवि कुमार अंबुज कॉफी हाउस के कम होते महत्व के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि कॉफी हाउस की संस्कृति अब शहर में नहीं रही है। इसका सबसे बड़ा कारण बढ़ती हुई व्यवसायिकता है। वे कहते हैं कि पहले मैं गुना में रहता था। काम के सिलसिले में भोपाल अक्सर आता था तो इंडियन कॉफी हाउस जरूर जाता था। उस वक्त जो लोग कॉफी हाउस में मिलते थे, उन्होंने अब जाना बंद कर दिया। लोगों का दृष्टिकोण बदला है। यहां ऐसे लोगों की अधिकता है जो अपना स्वार्थ सिद्ध होने के उद्देश्य से कॉफी हाउस में मिलने लगे हैं। इस दौरान अगर उन दो लोगों की बातचीत चलती रहे और कोई तीसरा पहुंच जाए तो उन्हें अच्छा नहीं लगता। बदलते दौर में इंडियन कॉफी हाउस का माहौल जरूर बदला है लेकिन दूसरी टेबिल पर हो रही बातचीत से दूर अपनी टेबिल पर विचारों में मग्न हो जाना कुमार अंबुज को प्रभावित किए बिना नहीं रहता।

कमाल की है कॉफी
- 1822 में सबसे पहले फ्रेंचवासियों ने एस्प्रेसो मशीन का आविष्कार किया।
- कॉफी को यूरोप में अरेबियन वाइन के नाम से जाना जाता था।
- कॉफी की 50 से अधिक प्रजातियां दुनियाभर में मौजदू हैं।
- हर साल 50 बिलियन कप कॉफी पी जाती है जिसमें से 25 बिलियन कप कॉफी सिर्फ नाश्ते के दौरान ही खत्म हो जाती है।
- एस्प्रेसो कॉफी में 2.5 प्रतिशत वसा होती है, जबकि फिल्टर कॉफी में 0.6 प्रतिशत
वसा होती है।
- जापान में कॉफी स्पा है जहां लोग कॉफी के टब में बैठकर नहाने का मजा लेते हैं।
- इटली में इस वक्त 200,000 कॉफी शॉप्स हैं और अन्य स्थापित हो रहे हैं।
- पिछले तीन दशकों में पश्चिमी देशों के 90 प्रतिशत लोगों ने चाय छोड़कर कॉफी पीना शुरू किया है।
दर्द पर पलती मुस्कुराहटें

फिल्मी पर्दे की रौनक और चमक-दमक के बीच सिने तारिकाओं की जिंदगी झूलती रहती है। अनेक विवादों से घिरी जिंदगी केबीच भी वे कई कल्याणकारी कार्यों में लगी रहती हैं। दूसरों का जीवन चाहे उनकी वजह से रोशन हो लेकिन उनके अपने जीवन में कभी घर में मिली प्रताडऩा तो कभी बेवफाई की वजह से अंधेरा छाया रहता है। ऐसी कई सिने तारिकाएं हमारे दिलों पर छाई हुई हैं जो न सिर्फ घरेलू हिंसा की शिकार हुईं, बल्कि इसका विरोध करने पर उन्हें घर में जुल्मों सितम भी सहना पड़ा....

ग्लैमर जगत की वे सिने तारिकाएं जिनके कदम रखते ही चारों ओर से उन्हें अपने फैन्स की आवाज सुनाई देने लगती है। उनकी एक झलक पाने के लिए लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं। सारी दुनिया में धूम मचाने वाली ये हसीनाएं जब अपने ही घर में प्रताडि़त की जाती हैं तो ये बात न सिर्फ उनके खुद के लिए, बल्कि उनके फैंस के लिए भी दुखदायी होती है। २010 में कोलकाता की मॉडल डिंपी गांगुली ने राहुल महाजन से शादी की थी। शादी के कुछ महीनों बाद ही राहुल द्वारा डिंपी को मारने की शिकायत आई थी। राहुल का अपनी पत्नी के साथ ये दुव्र्यवहार पहली बार नहीं है, बल्कि राहुल की पहली पत्नी श्वेता सिंह भी अपने पति के  खिलाफ शारीरिक शोषण का केस दर्ज करवा चुकी हैं। 70 के दशक में अपनी अदाओं के जलवे बिखेरने वाली दिलकश अदाकारा जीनत अमान का निजी जीवन परेशानियों से भरा रहा। अभिनेता संजय खान के साथ उनके संबंध लंबे समय तक चर्चा में रहे। इसी बीच ये बात भी लोगों की जुबान पर रही कि संजय ने जीनत अमान को कई बार मारा जिसकी वजह से उनकी आंख में चोट लगी। मोस्ट स्टाइलिश सिने तारिका के रूप में जिस अभिनेत्री के चाहने वाले न सिर्फ हिंदुस्तान में, बल्कि सारी दुनिया में रहे, उसकी दुर्दशा यह रही कि उनके दूसरे पति मजहर खान भी शादी के बाद उन्हें शारीरिक यातना देते रहे। मजहर के साथ जीनत के संबंध उनकी कैंसर से मृत्यु हो जाने के पहले तक कभी मधुर नहीं रहे। युक्तामुखी ने पिछले साल उनके पति पिं्रस तुली के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। पूर्व मिस यूनिवर्स का खिताब जीत चुकी युक्ता के अनुसार अपने पति द्वारा वे कई बार घरेलू हिंसा की शिकार हुई हैं। एक समय वो था जब 1990 में सलमान खान की एक्स गर्लफ्रेंड सोमी अली खान के साथ उनके अफेयर के चर्चे जोरों पर थे। उनके इश्क की दास्तान सलमान के दुव्र्यवहार की वजह से खत्म हुई। उसके बाद सोमी अली अमेरिका चली गईं और एक ऐसी संस्था के लिए कार्य कर रही हैं जो महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचारों और शारीरिक शोषण के विरुद्ध आवाज बुलंद करती है। सोमी के बाद ऐश्वर्या रॉय ने सलमान के खिलाफ मारपीट की बात उन दिनों स्वीकार की थी, जब दोनों के बीच इश्क परवान पर था।  अदनान सामी की पहली पत्नी सबाह गलदारी ने 2009 में अपने पति के विरुद्ध मुंबई में शारीरिक शोषण की शिकायत दर्ज करवाई। सबाह का कहना था कि अदनान उसे जलती हुई सिगरेट से जलाता था। तीन साल तक पति के अत्याचार सहने के बाद सबाह ने अदनान से तलाक ले लिया। हॉलीवुड की मारिया केरी एक गायिका और अभिनेत्री के रूप में मशहूर हैं। मारिया का दावा था कि उनके पहले पति टॉमी मटोला उन्हें मानसिक रूप से प्रताडि़त करते हैं। इसका नकारात्मक प्रभाव न सिर्फ मारिया के निजी जीवन पर, बल्कि उनके कैरियर पर भी पड़ा। बाद में उन्होंने लेरी किंग से दूसरी शादी कर ली। व्हीटनी  ह्यूस्टन के साथ उनके पति बॉबी ब्राउन ने कई साल तक अत्याचार किया। अंत में तंग आकर ह्यूस्टन ने अपने पति के खिलाफ अदालत में कार्रवाई की। 2003 में घरेलू हिंसा के मामले में ब्राउन को जेल हुई। 2009 में प्री ग्रेमी पार्टी के दौरान रिहाना और क्रिस ब्राउन के बीच भारी भीड़ के सामने जो झगड़ा बढ़ा वो इस हद तक बढ़ा जिसकी वजह से क्रिस ने रिहाना को इतना मारा कि उनके शरीर पर जगह-जगह चोट के निशान दिखाई देने लगे। इस घटना का मुख्य कारण यह था कि रिहाना ने क्रिस की गर्लफ्रेंड का मैसेज उसके सेल फोन पर पढ़ लिया था। अभिनेत्री और गायिका मेडोना को 1988 में घरेलू हिंसा का सामना उस वक्त करना पड़ा, जब वे अपने पहले पति सियेन पेन के साथ रहती थीं। उसके बाद दोनों ने तलाक ले लिया।
मेडोना की यह शिकायत थी कि उनके पति ने कभी उनसे अच्छा व्यवहार नहीं किया।
टीना टर्नर एक गायिका के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखती हैं। टीना के अनुसार उनके पति इक टर्नर ने उनके साथ कई बार बलात्कार किया और वे उन्हें सिगरेट से जलाते भी थे। उनके साथ होने वाली हिंसा की घटनाओं का जिक्र टीना ने अपनी आत्मकथा में भी किया है। गवाहों के बयान के आधार पर टीना द्वारा इक पर लगाए गए सारे आरोप सही साबित हुए। जब कंगना रानाउत ने मुंबई आकर अपने कैरियर की शुरुआत की थी तो उनके इश्क की चर्चा पहले से शादीशुदा आदित्य पंचोली के साथ थी। कंगना का कहना है कि उन दिनों आदित्य ने उनके साथ मारपीट भी की थी। हॉलीवुड अभिनेत्री हेले बेरी को 2004 में उनके प्रेमी ने इतना मारा था कि जिसकी वजह से उनके कान में गहरी चोट आई थी। हालांकि हेले ने अपने प्रेमी का नाम कभी नहीं बताया। पामेला एंडरसन के साथ ली जोंस की शादीशुदा जिंदगी चार साल तक रही। इस दौरान भी पामेला को उसके पति ने गर्भावस्था में भी कई बार शारीरिक यातनाएं दीं। पामेला की शिकायत पर जॉन को जेल की हवा खानी पड़ी। टीवी अभिनेत्री श्वेता तिवारी के उनके पति राजा चौधरी के साथ वैवाहिक संबंध हमेशा खराब ही रहे। श्वेता का कहना है कि राजा ने न सिर्फ उसे, बल्कि उसकी बेटी पलक को भी जान से मारने की कोशिश की।