जब दिल किसी का टूटे
माता-पिता के रिश्तों में जब दरार आती है तो इसका असर उनके बच्चों की परवरिश पर भी पूरी तरह होता है। कई बार वे विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी आगे बढ़ते जाते हैं और कई बार ये भी होता है कि ऐसे हालात उनकी बर्बादी की वजह बनकर सामने आते हैं। इस के माध्यम से रिश्तों के बिगड़ते ताने-बाने का असर आम जन को प्रभावित करने वाले सेलेब्स के बच्चों के जीवन को किस तरह से प्रभावित करता है, ये दर्शाने का प्रयास किया गया है...
जब अभिभावकों का ब्रेकअप होता है तो विपरीत प्रभाव उनके बच्चों के जीवन को भी पूरी तरह प्रभावित करता है। ऐसे बच्चे किसी भी तरह का कमिटमेंट करने से डरते हैं, क्योंकि उनके मन में यह भावना हमेशा रहती है कि वे अपने माता-पिता की तरह किसी भी करार को पूरा नहीं कर पाएंगे। युवराज सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही है। जिस युवा क्रिकेटर की सारी दुनिया दीवानी है, वह अपने घर में कई बार मां-बाप के बीच आई दरार की वजह से परेशान होते देखे गए हैं। यही हाल शाहिद कपूर का भी है। उनके पिता पंकज कपूर और मां नीलिमा अजीम के अलग होने के बाद वे अपने जीवन में भी किसी से वादा करने में अक्सर डरते हैं। लोगों का यह भी कहना है कि करीना के साथ उनके संबंध भी इसी तरह की असुरक्षा के चलते टूटे। शाहिद को आज भी लगता है कि शादी करने से ज्यादा जरूरी अपने कैरियर पर ध्यान देना है इसीलिए वे शादी के बंधन में बंधने के बजाय अपने कैरियर में स्थायित्व का प्रयास करते नजर आते हैं। ऐसे कलाकारों में वे अकेले नहीं हैं, जबकि 40 की उम्र से आगे निकल चुकी तब्बू आज भी शादी की बात आने पर इस सवाल का जवाब देने से कतराती हैं। महेश भट्ट जब अपने पुत्र राहुल और उसकी मां को छोड़कर चले गए तो राहुल कई सालों तक इस सदमे से निकल नहीं पाए। मनोचिकित्सक डॉ. काकोली रॉय कहती हैं कि माता-पिता के अलग होने पर बच्चे में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है। इस भावना को दूर करके आगे बढऩे में उसे लंबा समय लगता है। वे माता-पिता जो बच्चे के सुरक्षित रहने की सबसे बड़ी वजह होते हैं, उनके न रहने पर उसका खुद को असहाय महसूस करना स्वाभाविक ही है। सच तो यह है कि बच्चों को बचपन से सिखाया जाता है कि माता-पिता के रिश्ते से बड़ा रिश्ता दुनिया में दूसरा नहीं है और जब यही अभिभावक अलग होते हैं तो बच्चे का रिश्तों पर से विश्वास उठने लगता है। ऐसे बच्चे आसानी से अपने लिए जीवनसाथी का चयन नहीं कर पाते। अगर कहीं ऐसे अभिभावकों के बच्चे संबंधों को स्वीकार कर भी लेते हैं तो उनके संंबंध बिगड़ते भी देर नहीं लगती। स्कॉटिश एक्टर गेरारर्ड बटलर मानते हैं कि मेरे पेरेंट्स जब अलग हो गए तो मेरे साथ एक अनजाना डर हमेशा रहने लगा। फिर भी मैं सोचता हूं कि उनके दरकते रिश्तों को ढोने से ज्यादा अच्छा है मैं स्वच्छंद जीवन जीने लगूं। मनोवैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि जब इन बच्चों को कहीं से आसरा नहीं मिलता तो वे अपनी आजादी को ही अपना सहारा समझकर जीने की कोशिश करने लगते हैं। धीरे-धीरे ये आजादी उन पर इतनी हावी होने लगती है कि परिवार के मायने वे भूल जाते हैं। उनके लिए बंदिशों में रहने वाले परिवार से दूर ऐसी आजादी सब कुछ हो जाती है। इन बच्चों के लिए अपनी शादीशुदा जिंदगी को निभा कर दिखाना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता। जैसा कि फिलहाल करीना कपूर के लिए कहा जा रहा है। एक ज्योतिष द्वारा उनकी शादीशुदा जीवन की तबाही की भविष्यवाणी की जो प्रतिक्रिया करीना ने व्यक्त की वो उनके गुस्से को पूरी तरह प्रकट करती है। अपनी मां बबीता और पिता रणधीर कपूर के अलग होने के बाद उन्होंने न सिर्फ कामयाबी के शिखर को छुआ, बल्कि लोगों के सामने यह आदर्श भी स्थापित किया कि अभिनय की जो कला उन्हें विरासत में मिली उस पर वे खरी उतरने की योग्यता भी रखती हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि जिन अभिभावकों का विवाह सफल नहीं होता, उनके बच्चे भी विवाह करने पर सामंजस्य स्थापित करने में असफल होते हैं। अभिनेत्री रेखा ने माता-पिता के तलाक होने के बाद घर के बुरे हालातों से तो सामना किया ही, लेकिन उनका खुद का वैवाहिक जीवन दो बार शादी करने के बाद भी कभी सुखमय नहीं रहा। प्रतिमा बेदी और कबीर बेदी के संबंधों की दरार उनके बच्चों को भी प्रभावित करती रही। उनकी बेटी पूजा बेदी ने कुछ ही फिल्मों में अपने अभिनय के जौहर दिखाने के बाद कैरियर को आगे बढ़ाने के बजाय वैवाहिक जीवन बिताना अधिक पसंद किया। 1990 में फरहान इब्राहिम फर्नीचरवाला से उनकी पहली मुलाकात हुई और जल्दी ही दोनों ने शादी कर ली। सन 2000 में उनका तलाक हो गया। अब वे अपने दो बच्चों के साथ अकेली रहती हैं। राहुल भट्ट ने अपने माता-पिता की जो हालत देखी है उससे सबक लेते हुए वे आज भी कहते हैं कि मेरे लिए अपनी पत्नी के साथ संबंधों को निभाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मैं नहीं चाहता कि हमारे संबंधों का विपरीत प्रभाव बच्चों के जीवन को बर्बाद करने की वजह बने। कई बार यह भी होता है कि माता-पिता के संबंधों में दरार को देखते हुए बच्चे आदर्श स्थापित करने की पूरी कोशिश करते हैं और फिर उसमें सफल भी होते हैं। नीना गुप्ता और विवियन रिचड्र्स की बेटी मसाबा गुप्ता ऐसे ही बच्चों का एक जीवंत उदाहरण है। मसाबा कहती हैं, अगर माता-पिता अपने रिश्तों को निभा न सकें तो उनके बच्चों की जिम्मेदारी ऐसे में और भी बढ़ जाती है। कोशिश तो यह होना चाहिए कि वे अपने संबंधों की नींव ज्यादा समझदारी से रखें।
माता-पिता के रिश्तों में जब दरार आती है तो इसका असर उनके बच्चों की परवरिश पर भी पूरी तरह होता है। कई बार वे विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी आगे बढ़ते जाते हैं और कई बार ये भी होता है कि ऐसे हालात उनकी बर्बादी की वजह बनकर सामने आते हैं। इस के माध्यम से रिश्तों के बिगड़ते ताने-बाने का असर आम जन को प्रभावित करने वाले सेलेब्स के बच्चों के जीवन को किस तरह से प्रभावित करता है, ये दर्शाने का प्रयास किया गया है...
जब अभिभावकों का ब्रेकअप होता है तो विपरीत प्रभाव उनके बच्चों के जीवन को भी पूरी तरह प्रभावित करता है। ऐसे बच्चे किसी भी तरह का कमिटमेंट करने से डरते हैं, क्योंकि उनके मन में यह भावना हमेशा रहती है कि वे अपने माता-पिता की तरह किसी भी करार को पूरा नहीं कर पाएंगे। युवराज सिंह के साथ भी कुछ ऐसा ही है। जिस युवा क्रिकेटर की सारी दुनिया दीवानी है, वह अपने घर में कई बार मां-बाप के बीच आई दरार की वजह से परेशान होते देखे गए हैं। यही हाल शाहिद कपूर का भी है। उनके पिता पंकज कपूर और मां नीलिमा अजीम के अलग होने के बाद वे अपने जीवन में भी किसी से वादा करने में अक्सर डरते हैं। लोगों का यह भी कहना है कि करीना के साथ उनके संबंध भी इसी तरह की असुरक्षा के चलते टूटे। शाहिद को आज भी लगता है कि शादी करने से ज्यादा जरूरी अपने कैरियर पर ध्यान देना है इसीलिए वे शादी के बंधन में बंधने के बजाय अपने कैरियर में स्थायित्व का प्रयास करते नजर आते हैं। ऐसे कलाकारों में वे अकेले नहीं हैं, जबकि 40 की उम्र से आगे निकल चुकी तब्बू आज भी शादी की बात आने पर इस सवाल का जवाब देने से कतराती हैं। महेश भट्ट जब अपने पुत्र राहुल और उसकी मां को छोड़कर चले गए तो राहुल कई सालों तक इस सदमे से निकल नहीं पाए। मनोचिकित्सक डॉ. काकोली रॉय कहती हैं कि माता-पिता के अलग होने पर बच्चे में असुरक्षा की भावना घर कर जाती है। इस भावना को दूर करके आगे बढऩे में उसे लंबा समय लगता है। वे माता-पिता जो बच्चे के सुरक्षित रहने की सबसे बड़ी वजह होते हैं, उनके न रहने पर उसका खुद को असहाय महसूस करना स्वाभाविक ही है। सच तो यह है कि बच्चों को बचपन से सिखाया जाता है कि माता-पिता के रिश्ते से बड़ा रिश्ता दुनिया में दूसरा नहीं है और जब यही अभिभावक अलग होते हैं तो बच्चे का रिश्तों पर से विश्वास उठने लगता है। ऐसे बच्चे आसानी से अपने लिए जीवनसाथी का चयन नहीं कर पाते। अगर कहीं ऐसे अभिभावकों के बच्चे संबंधों को स्वीकार कर भी लेते हैं तो उनके संंबंध बिगड़ते भी देर नहीं लगती। स्कॉटिश एक्टर गेरारर्ड बटलर मानते हैं कि मेरे पेरेंट्स जब अलग हो गए तो मेरे साथ एक अनजाना डर हमेशा रहने लगा। फिर भी मैं सोचता हूं कि उनके दरकते रिश्तों को ढोने से ज्यादा अच्छा है मैं स्वच्छंद जीवन जीने लगूं। मनोवैज्ञानिक भी यह मानते हैं कि जब इन बच्चों को कहीं से आसरा नहीं मिलता तो वे अपनी आजादी को ही अपना सहारा समझकर जीने की कोशिश करने लगते हैं। धीरे-धीरे ये आजादी उन पर इतनी हावी होने लगती है कि परिवार के मायने वे भूल जाते हैं। उनके लिए बंदिशों में रहने वाले परिवार से दूर ऐसी आजादी सब कुछ हो जाती है। इन बच्चों के लिए अपनी शादीशुदा जिंदगी को निभा कर दिखाना भी किसी चुनौती से कम नहीं होता। जैसा कि फिलहाल करीना कपूर के लिए कहा जा रहा है। एक ज्योतिष द्वारा उनकी शादीशुदा जीवन की तबाही की भविष्यवाणी की जो प्रतिक्रिया करीना ने व्यक्त की वो उनके गुस्से को पूरी तरह प्रकट करती है। अपनी मां बबीता और पिता रणधीर कपूर के अलग होने के बाद उन्होंने न सिर्फ कामयाबी के शिखर को छुआ, बल्कि लोगों के सामने यह आदर्श भी स्थापित किया कि अभिनय की जो कला उन्हें विरासत में मिली उस पर वे खरी उतरने की योग्यता भी रखती हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि जिन अभिभावकों का विवाह सफल नहीं होता, उनके बच्चे भी विवाह करने पर सामंजस्य स्थापित करने में असफल होते हैं। अभिनेत्री रेखा ने माता-पिता के तलाक होने के बाद घर के बुरे हालातों से तो सामना किया ही, लेकिन उनका खुद का वैवाहिक जीवन दो बार शादी करने के बाद भी कभी सुखमय नहीं रहा। प्रतिमा बेदी और कबीर बेदी के संबंधों की दरार उनके बच्चों को भी प्रभावित करती रही। उनकी बेटी पूजा बेदी ने कुछ ही फिल्मों में अपने अभिनय के जौहर दिखाने के बाद कैरियर को आगे बढ़ाने के बजाय वैवाहिक जीवन बिताना अधिक पसंद किया। 1990 में फरहान इब्राहिम फर्नीचरवाला से उनकी पहली मुलाकात हुई और जल्दी ही दोनों ने शादी कर ली। सन 2000 में उनका तलाक हो गया। अब वे अपने दो बच्चों के साथ अकेली रहती हैं। राहुल भट्ट ने अपने माता-पिता की जो हालत देखी है उससे सबक लेते हुए वे आज भी कहते हैं कि मेरे लिए अपनी पत्नी के साथ संबंधों को निभाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि मैं नहीं चाहता कि हमारे संबंधों का विपरीत प्रभाव बच्चों के जीवन को बर्बाद करने की वजह बने। कई बार यह भी होता है कि माता-पिता के संबंधों में दरार को देखते हुए बच्चे आदर्श स्थापित करने की पूरी कोशिश करते हैं और फिर उसमें सफल भी होते हैं। नीना गुप्ता और विवियन रिचड्र्स की बेटी मसाबा गुप्ता ऐसे ही बच्चों का एक जीवंत उदाहरण है। मसाबा कहती हैं, अगर माता-पिता अपने रिश्तों को निभा न सकें तो उनके बच्चों की जिम्मेदारी ऐसे में और भी बढ़ जाती है। कोशिश तो यह होना चाहिए कि वे अपने संबंधों की नींव ज्यादा समझदारी से रखें।
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