गुरुवार, 13 अगस्त 2015

लेक्मे फैशन वीक में
बनारस की झलक

लेक्मे फैशन वीक में रितु कुमार बनारस की पारंपरिक कला को अपने डिजाइन में पेश कर रही हैं। इससे पहले भी शाइना एन सी अपने शो के दौरान इस कला को प्रमोट कर चुकी हैं...

लगभग चालीस साल पहले बंगाल के एक छोटे से गांव में फेब्रिक डिजाईन से अपना करियर शुरू करने वाली रितु कुमार का नाम आज चोटी के डिजाइनर्स में गिना जाता है। हिंदुस्तान में बुटीक परंपरा की नींव रखकर एक नयी सभ्यता का उद्घोष तो रितु ने किया ही है। साथ ही भारतीय परिधानों के महत्व को बनाए रखकर उन्होंने अपने हुनर से इसमें नए रंग भरे हैं। उन्होंने भारत की सदाबहार पोशाक साड़ी और लहंगे को विश्व स्तर पर ख्याति दिलाई। इन दिनों रितु कुमार की चर्चा लेक्मे फैशन वीक में उनके द्वारा बनारस की पारंपरिक कला को पहचान दिलाने के लिए हो रही है। सच तो यह है कि बनारस हमारे देश का एक ऐसा पवित्र शहर है जो न सिर्फ अपने धार्मिक महत्व बल्कि पारंपरिक कलाओं को सहेजने के लिए भी जाना जाता है। बनारस के महत्व को हमारे देश की जानी मानी फैशन डिजाइनर रितु कुमार ने बेहतर जाना और यहां के बनुकरों की डिजाइन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस साल संपन्न लेक्मे फैशन वीक में पेश करने का निर्णय लिया। बनारस के कारीगरों को समर्पित है रितु कुमार द्वारा डिजाइन किया गया वाराणसी वेवर्स जिसे वे लेक्मे फैशन वीक विंटर फेस्टिवल 2015 में प्रस्तुत कर रही हैं। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही मुंबई में डाक्टर भाऊ दाजी लाड संग्रहालय में डिजाइनर और पॉलिटिशियन शाइना एन सी ने
अपने कलेक्शन में बनारसी साड़ी को पेश किया था। इनके कलेक्शन को री इंवेंट बनारस नाम दिया गया था। शाइना के इस शो की शान मनीष मल्होत्रा, अबू जानी-संदीप खोसला और कृष्णा मेहता जैसे मशहूर फैशन डिजाइनर थे जिन्होंने इस पारंपरिक कला को दुनिया में पहचान दिलाने का समर्थन भी किया था। लेक्मे फैशन वीक में भारतीय हैंडलूम और टेक्सटाइल्स पर ये डिजाइनर्स 27 अगस्त को अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। एक बार फिर शाइना इस फैशन वीक के लिए भी मुंबई की भाऊ डाजी लाड संग्रहालय में एक खास प्रदर्शनी का आयोजन कर रही हैं जिसमें अनिता डोंगरे, कृष्णा मेहता और वरूण बहल की डिजाइन को दिखाया जाएगा। इस साल के लेक्मे फैशन वीक में रितु कुमार के पारंपरिक परिधानों का आधार पारंपरिक बुनाई है जैसे मेटेलिक ब्रोकेड्स के साथ सिल्क जिस पर सफेद धागे की बुनाई की गई है। बनारस में तैयार होने वाला यह एक ऐसा विशेष फेब्रिक है जो दुनिया में और कहीं नही मिलता। रितु ने अपनी डिजाइन में पारंपरिक एंब्रायडरी और प्रिंटिंग टेक्रीक को चाइनीज और मेटेलिक धागों से रिप्लेस किया है।
बनारस की कला को युवाओं द्वारा पसंद किया जाता है इसलिए ये जरूरी नहीं कि युवाओं के लिए डिजाइन किये जा रहे आउटफिट्स में हम बदलाव करें। ये कहना है रितु कुमार का जो बनारस की तारीफ करती नहीं थकती। भारत के फैशन डिजाइनर्स को हमारे देश की इस अभिन्न कला को आगे लाने की हर संभव कोशिश करना चाहिए ठीक उसी तरह जिस तरह देश के प्रतिष्ठित शो में रितु कुमार कर रही हैं।

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