देखो उड़ा रे गुलाल
रंग-बिरंगा हुआ भोपाल
रंग-रंगिली होली में तन और मन को रंगने की बात हर बार होती है लेकिन इस साल की होली में अगर शहर के विभिन्न स्थानों पर होली का रंग चढ़ा दिया जाए तो क्या हो। शहर के मशहूर चित्रकार होली के हर रंग को हमेशा अपने करीब पाते हैं। उनकी कोशिश होती है कि हर रंग से समाज में फैली बुराइयों के प्रति लोगों को जागरूक करें। फिर बात अगर होली की हो तो उनकी नजरों के सामने ऐसे कई स्थान उभर आते हैं जिन्हें वे अपनी कलाकारी से विशिष्ट रंग देने की तमन्ना रखते हैं.....क्षमा कुलश्रेष्ठ
क्षमा को प्रभावित करती हैं शहर की वो सारी दीवारें जिन्हें चित्रकारी के माध्यम से जगह-जगह सजाया गया है। इससे दीवारों की खूबसूरती बढ़ती है। शाहपुरा झील के आसपास की दीवारों को शांत रंगों से सजाने की जरूरत है। इन चित्रों के माध्यम से ऐसे संदेश देने चाहिए जो लोगों को प्रकृति और पानी बचाने के प्रति जागरूक करें।
ऐसे रंग बिखेरो
होली पर सबसे बुरा तब लगता है जब जिसे होली खेलना पसंद नहीं है उन्हें भी रंग लगा दिया जाता है। इस त्योहार पर सबसे पहले लोगों की भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। जिंदगी को रंगीन बनाने के लिए अपनी आत्मा से नकारात्मकता को दूर करना सबसे पहला काम होना चाहिए। फिर देखिए हर दिन रंगीन हो जाएगा।
बिखेरना ही है तो मुस्कराहटों का रंग बिखेरो
फिर देखो सारा जीवन इंद्रधनुष हो जाएगा।।
रंजीत अरोड़ा
रंजीत एब्सेट्रेक्ट पेंटिंग बनाते हैं और मंतशा आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष हैं जिसके माध्यम से युवा चित्रकारों को नए अवसर प्रदान करते हैं। अगर उन्हें अवसर मिले तो वे वन विहार को अपनी चित्रकारी के माध्यम से सजाएंगे। वन विहार से झील का किनारा देखने में बहुत सुंदर लगता है। वे चाहते हैं कि यदि प्रशासन इजाजत दे तो यहां कैंप लगाकर अन्य चित्रकारों के साथ पेंटिंग करें।
गुलाब से होली का आनंद
भोपाल गंगा जमुनी तहजीब की पहचान है। यहां मनाया जाने वाला हर त्योहार खास होता है। उनके कुछ दोस्तों ने गुलाब की पत्तियों से होली खेलने की पहल की है। इससे पानी की बचत होगी और होली खेलने का आनंद भी बना रहेगा। ऐसा ही प्रयास सूखी होली या फूलों की होली के माध्यम से सभी को करना चाहिए।
साजिद प्रेमी
न्यू मार्केट में टॉप एन टाउन वाली लाइन में या वीआईपी रोड के सामने वाली दीवारों को साजिद अपनी चित्रकारी से नया रूप देना चाहते हैं। शहर के बाहर से आने वाले सभी वीआईपी जब यहां आते हैं तो इसी रोड से गुजरते हैं इसलिए यहां की दीवारों को सुंदर बनाने की जरूरत है। साथ ही गौहर महल में चित्रकारी का अपना मजा है तो ताजमहल एक ऐसी जगह है जहां पेंटर्स को काम करना चाहिए ताकि भोपाल की इस धरोहर के बारे में लोगों को पता चल सके।
सादगी से मनाएं
हर्ष और उल्लास के साथ होली का आनंद लें। सादगी के साथ इसे मनाने से त्योहार का मजा बढ़ जाता है।
देवीलाल पाटीदार
भोपाल की बड़ी झील में पानी के रूप में जीवन है। वहां लोग रहें या न रहें लेकिन झील हमेशा जीवित रहते हुए शहर की खूबसूरती बढ़ाती है। यंू तो इसे निखारने के लिए समय-समय पर काम किए जा रहे हैं लेकिन इसके आस-पास अगर चित्रकारी करने का मौका मिले तो इससे झील की सुंदरता में निखार आएगा। यहां ऐसी पेंटिंग की जानी चाहिए जिस पर मौसम का असर न हो जैसे म्यूरल्स। वाटर कलर से की गई पेंटिंग इस जगह के लिए उपयुक्त है।
स्रोत खराब न हो
होली ही एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसे मनाने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं होती। होली पर पानी के स्रोत खराब न हों, इस बात का ध्यान सभी को रखना चाहिए।
मंजुषा गांगुली
चित्रकार का रंगों से गहरा नाता होता है जो उसे हर वक्त ताजगी और ऊर्जा प्रदान करते हैं। शहर की सुंदरता में चार चांद लगाने की बात हो तो पालीटेक्निक चौराहे के आस-पास की दीवारों पर जो चित्रकारी की गई है, वो अगर किसी चित्रकार से कराई जाए तो देखने में ज्यादा अच्छा लगेगा। इसके अलावा भारत भवन कला केंद्र के रूप में विख्यात है जिसे मंजुषा गांगुली अपने रंगों से सजाना चाहती हैं।
याद है कोलकाता की होली
कोलकाता में गुलाल से होली खेलने की परंपरा है। वहां पलाश के फूलों से रंग बनाए जाते हैं और उनसे होली खेली जाती है। रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों पर ढोल मंजीरे के साथ किया जाने वाला नृत्य लोगों को हमेशा याद रहता है। गीले रंगों वाली होली खेलने से होने वाले नुकसान को देखते हुए सूखी होली खेलें और इस त्योहार का पूरा आनंद लें।
अर्चना यादव
अगर हम बीएचईएल की बात करें तो यहां के शांत माहौल में चित्रकारों को काम करना चाहिए। इस क्षेत्र की खूबसूरती को बढ़ाने में पेंटर्स की खास भूमिका होनी चाहिए। विशेष तौर से सारंगपाणी झील के आसपास चित्रकारी करने की तमन्ना अर्चना की भी है। उनके अनुसार यह एक ऐसी झील है जिसके बारे में शहरवासियों को कम ही मालूम है। यहां अगर चित्रकारी करने का मौका मिले तो वे वाल पेंटिंग और पार्ट पीसेस से दीवारों की सुंदरता बढ़ाना चाहेेंगी।
ऐसी घटनाएं न हों
होली के आस-पास अपराधों की संख्या बढ़ जाती है। खुशी के अवसर पर इस तरह की घटनाएं नहीं होना चाहिए।
अखिलेश
अखिलेश को लगता है कि सिर्फ पेंटिंग से नहीं बल्कि लैंडस्केपिंग के माध्यम से न्यू मार्केट की सुंदरता बढ़ाई जा सकती हैं। इसी तरह का काम मैं जुमेराती और गौहर महल में भी करना चाहता हूं।
आनंद लें
होली खुशियों और उम्मीदों का तैयार है इसका भरपूर आनंद सभी को लें।
रंग-बिरंगा हुआ भोपाल
रंग-रंगिली होली में तन और मन को रंगने की बात हर बार होती है लेकिन इस साल की होली में अगर शहर के विभिन्न स्थानों पर होली का रंग चढ़ा दिया जाए तो क्या हो। शहर के मशहूर चित्रकार होली के हर रंग को हमेशा अपने करीब पाते हैं। उनकी कोशिश होती है कि हर रंग से समाज में फैली बुराइयों के प्रति लोगों को जागरूक करें। फिर बात अगर होली की हो तो उनकी नजरों के सामने ऐसे कई स्थान उभर आते हैं जिन्हें वे अपनी कलाकारी से विशिष्ट रंग देने की तमन्ना रखते हैं.....क्षमा कुलश्रेष्ठ
क्षमा को प्रभावित करती हैं शहर की वो सारी दीवारें जिन्हें चित्रकारी के माध्यम से जगह-जगह सजाया गया है। इससे दीवारों की खूबसूरती बढ़ती है। शाहपुरा झील के आसपास की दीवारों को शांत रंगों से सजाने की जरूरत है। इन चित्रों के माध्यम से ऐसे संदेश देने चाहिए जो लोगों को प्रकृति और पानी बचाने के प्रति जागरूक करें।
ऐसे रंग बिखेरो
होली पर सबसे बुरा तब लगता है जब जिसे होली खेलना पसंद नहीं है उन्हें भी रंग लगा दिया जाता है। इस त्योहार पर सबसे पहले लोगों की भावनाओं का ध्यान रखा जाना चाहिए। जिंदगी को रंगीन बनाने के लिए अपनी आत्मा से नकारात्मकता को दूर करना सबसे पहला काम होना चाहिए। फिर देखिए हर दिन रंगीन हो जाएगा।
बिखेरना ही है तो मुस्कराहटों का रंग बिखेरो
फिर देखो सारा जीवन इंद्रधनुष हो जाएगा।।
रंजीत अरोड़ा
रंजीत एब्सेट्रेक्ट पेंटिंग बनाते हैं और मंतशा आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष हैं जिसके माध्यम से युवा चित्रकारों को नए अवसर प्रदान करते हैं। अगर उन्हें अवसर मिले तो वे वन विहार को अपनी चित्रकारी के माध्यम से सजाएंगे। वन विहार से झील का किनारा देखने में बहुत सुंदर लगता है। वे चाहते हैं कि यदि प्रशासन इजाजत दे तो यहां कैंप लगाकर अन्य चित्रकारों के साथ पेंटिंग करें।
गुलाब से होली का आनंद
भोपाल गंगा जमुनी तहजीब की पहचान है। यहां मनाया जाने वाला हर त्योहार खास होता है। उनके कुछ दोस्तों ने गुलाब की पत्तियों से होली खेलने की पहल की है। इससे पानी की बचत होगी और होली खेलने का आनंद भी बना रहेगा। ऐसा ही प्रयास सूखी होली या फूलों की होली के माध्यम से सभी को करना चाहिए।
साजिद प्रेमी
न्यू मार्केट में टॉप एन टाउन वाली लाइन में या वीआईपी रोड के सामने वाली दीवारों को साजिद अपनी चित्रकारी से नया रूप देना चाहते हैं। शहर के बाहर से आने वाले सभी वीआईपी जब यहां आते हैं तो इसी रोड से गुजरते हैं इसलिए यहां की दीवारों को सुंदर बनाने की जरूरत है। साथ ही गौहर महल में चित्रकारी का अपना मजा है तो ताजमहल एक ऐसी जगह है जहां पेंटर्स को काम करना चाहिए ताकि भोपाल की इस धरोहर के बारे में लोगों को पता चल सके।
सादगी से मनाएं
हर्ष और उल्लास के साथ होली का आनंद लें। सादगी के साथ इसे मनाने से त्योहार का मजा बढ़ जाता है।
देवीलाल पाटीदार
भोपाल की बड़ी झील में पानी के रूप में जीवन है। वहां लोग रहें या न रहें लेकिन झील हमेशा जीवित रहते हुए शहर की खूबसूरती बढ़ाती है। यंू तो इसे निखारने के लिए समय-समय पर काम किए जा रहे हैं लेकिन इसके आस-पास अगर चित्रकारी करने का मौका मिले तो इससे झील की सुंदरता में निखार आएगा। यहां ऐसी पेंटिंग की जानी चाहिए जिस पर मौसम का असर न हो जैसे म्यूरल्स। वाटर कलर से की गई पेंटिंग इस जगह के लिए उपयुक्त है।
स्रोत खराब न हो
होली ही एकमात्र ऐसा त्योहार है जिसे मनाने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत नहीं होती। होली पर पानी के स्रोत खराब न हों, इस बात का ध्यान सभी को रखना चाहिए।
मंजुषा गांगुली
चित्रकार का रंगों से गहरा नाता होता है जो उसे हर वक्त ताजगी और ऊर्जा प्रदान करते हैं। शहर की सुंदरता में चार चांद लगाने की बात हो तो पालीटेक्निक चौराहे के आस-पास की दीवारों पर जो चित्रकारी की गई है, वो अगर किसी चित्रकार से कराई जाए तो देखने में ज्यादा अच्छा लगेगा। इसके अलावा भारत भवन कला केंद्र के रूप में विख्यात है जिसे मंजुषा गांगुली अपने रंगों से सजाना चाहती हैं।
याद है कोलकाता की होली
कोलकाता में गुलाल से होली खेलने की परंपरा है। वहां पलाश के फूलों से रंग बनाए जाते हैं और उनसे होली खेली जाती है। रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों पर ढोल मंजीरे के साथ किया जाने वाला नृत्य लोगों को हमेशा याद रहता है। गीले रंगों वाली होली खेलने से होने वाले नुकसान को देखते हुए सूखी होली खेलें और इस त्योहार का पूरा आनंद लें।
अर्चना यादव
अगर हम बीएचईएल की बात करें तो यहां के शांत माहौल में चित्रकारों को काम करना चाहिए। इस क्षेत्र की खूबसूरती को बढ़ाने में पेंटर्स की खास भूमिका होनी चाहिए। विशेष तौर से सारंगपाणी झील के आसपास चित्रकारी करने की तमन्ना अर्चना की भी है। उनके अनुसार यह एक ऐसी झील है जिसके बारे में शहरवासियों को कम ही मालूम है। यहां अगर चित्रकारी करने का मौका मिले तो वे वाल पेंटिंग और पार्ट पीसेस से दीवारों की सुंदरता बढ़ाना चाहेेंगी।
ऐसी घटनाएं न हों
होली के आस-पास अपराधों की संख्या बढ़ जाती है। खुशी के अवसर पर इस तरह की घटनाएं नहीं होना चाहिए।
अखिलेश
अखिलेश को लगता है कि सिर्फ पेंटिंग से नहीं बल्कि लैंडस्केपिंग के माध्यम से न्यू मार्केट की सुंदरता बढ़ाई जा सकती हैं। इसी तरह का काम मैं जुमेराती और गौहर महल में भी करना चाहता हूं।
आनंद लें
होली खुशियों और उम्मीदों का तैयार है इसका भरपूर आनंद सभी को लें।