शनिवार, 20 सितंबर 2014

जोशीले जीनियस 

 

ऐसे कई लोग हैं, जिनमें योग्यता की कमी नहीं है। साथ ही ऐसे लोगों की संख्या भी अधिक है, जिन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद भी अन्य प्रोफेशन में ऊंचा नाम हासिल किया। अपना शौक पूरा करने की धुन उन्हें इस मुकाम पर ले आई, जहां आज उनकी डिग्री के बारे में कोई बात भी नहीं करता। 
सपने वे नहीं होते, जो आपको रात में सोते समय नींद में आएं। बल्कि सपने वे होते हैं, जो रात में सोने न दें। ऐसी बुलंद सोच रखने वाले मिसाइल मैन, पद्मभूषण, पद्मविभूषण और भारत रत्न से सम्मानित एपीजे अब्दुल कलाम ने जब देश के सर्वोच्च पद यानी 11वें राष्ट्रपति की शपथ ली तो हर वैज्ञानिक का सिर गर्व से ऊंचा हो गया। मिसाइल मैन के नाम से जाने जाने वाले कलाम भारतीय मिसाइल प्रोग्राम के जनक कहे जाते हैं। एयरोनॉटिकल इंजीनियर कलाम अपनी पांचवीं कक्षा के अध्यापक सुब्रह्मण्यम अय्यर से प्रभावित थे।
राजनैतिक अखाड़े में चाणक्य कहे जाने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पटना से अभियांत्रिकी में स्नातक की डिग्री ली। अन्य राजनीतिक पार्टियां जहां जातपांत की रोटी सेंकने में व्यस्त रहीं, वहीं सोशल इंजीनियरिंग के जादूगर नीतीश कुमार के राजनैतिक दांवपेंच किसी से छिपे हुए नहीं हैं।
सुपरमॉडल सिंडी क्राफोर्ड को मॉडलिंग की दुनिया इतनी रास आई, जिसके चलते उन्होंने अपनी पढ़ाई से किनारा कर लिया। सिंडी ने नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी से केमिकल इंजीनियरिंग में एडमीशन लिया। कॉलेज में उन्होंने कुछ सेमेस्टर भी अटैंड किए, लेकिन मॉडलिंग के लिए अवसर मिलते ही उन्होंने इंजीनिरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़ दी और माडलिंग जगत में अपनी वो पहचान बनाई, जिसके चलते उम्र के पचास साल पूरे होने के बाद भी वे सुपर मॉडल के तौर पर छाई हुई हैं। इन हस्तियों ने पढ़ाई के शुरुआती दिनों में कभी सोचा भी नहीं होगा कि एक दिन अपनी डिग्री से अलग वे देश-दुनिया में शोहरत हासिल करेंगे।  चेतन भगत ने 1991-95 में मैकेनिकल इंजीनिरिंग की डिग्री दिल्ली से ली थी। कौन जानता था कि इस क्षेत्र से अलग चेतन एक लेखक के रूप में सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के युवाओं के प्रेरणास्रोत साबित होंगे। उनके उपन्यास द थ्री मिस्टेक्स ऑफ माय लाइफ और फाइव पॉइंट समवन से वे दुनिया में छा गए। आज हालत यह है कि बाजार में आने से पहले ही उनकी नई किताब का लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इन दिनों यही उत्सुकता उनकी दो महीने बाद प्रकाशित होने वाली किताब हाफ गर्लफें्रड को लेकर बनी हुई है।
चर्चित टीवी धारावाहिक 'पवित्र रिश्ताÓ में मानव के किरदार ने सुशांत राजपूत को हर घर में लोकप्रियता दिलाई, लेकिन उन्होंने छोटे पर्दे को अलविदा कह अभिषेक कपूर की फिल्म से बॉलीवुड में पदार्पण किया। अभिनय का चस्का सुशांत पर इतना हावी था, जिसके चलते उन्होंने अपने शानदार कॅरियर को छोड़ दिया। सुशांत ने आल इंडिया इंजीनियरिंग इंट्रेंस एक्जाम में सातवीं रैंक हासिल की और दिल्ली के कॉलेज में एडमीशन लिया। फिजिक्स में वे नेशनल ओलंपियाड विनर रहे हैं। सुशांत ने 11 नेशनल इंजीनियरिंग एक्जाम क्लीयर किए, जिसमें धनबाद का नेशनल माइंस भी शामिल है। लेकिन एक हीरो के रूप में छा जाने की धुन के चलते उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। खुद सुशांत के शब्दों में फिल्मों में आने की मेरी पहले से कोई योजना नहीं थी और न ही मैं यहां पैसा या फिर लोकप्रियता के लिए आया हूं। मुझे स्टारडम समझ नहीं आता और न ही मैं स्टार बनना चाहता हूं। हां, मैं नंबर एक अभिनेता जरूर बनना चाहता हूं। मेरा मकसद हमेशा खुद को एक अभिनेता के तौर पर उभारना है। सुशांत खुद भी मानते हैं कि उनके जीवन का ये बहुत ही रोमांचक दौर है। पिछले कुछ सालों से राजनैतिक गलियारों में चर्चित अरविंद केजरीवाल ने आईआईटी खडग़पुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और वे 1992 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। 2006 में जब वे आयकर विभाग में संयुक्त आयुक्त थे, तब उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी। केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सूचना का अधिकार देने का कानून बनवाया। वे एक एनजीओ (साथी) से भी जुड़े हुए हैं। केजरीवाल ने पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन नाम का एक गैर-सरकारी संगठन भी बनाया है। उन्होंने जन लोकपाल बिल के लिए अन्ना हजारे के साथ मिलकर अनशन किया और धरनों, प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। नवंबर, 2012 में उन्होंने आम आदमी पार्टी की शुरुआत की, जो आज भी राजनीति में सक्रिय है।
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। अखिलेश ने इंजीनियरिंग करने के बाद मैसूर यूनिवर्सिटी से एन्वॉयरमेंट इंजीनियरिंग की मास्टर्स डिग्री ली। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी से भी इसी विषय में मास्टर्स डिग्री प्राप्त की है।
इंजीनियर्स ने अपने हुनर खेल के मैदान में भी बखूबी दिखाए। भारत की ओर से पांच सौ विकेट लेने वाले पहले खिलाड़ी अनिल कुंबले ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इंजीनियर्स की फेहरिस्त में श्रीसंत भी शामिल हैं। आखिरी ओवरों में पसीने से तर-बतर गेंदों पर नियंत्रण करने की कोशिश करने वाले श्रीसंत सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। ये वही श्रीसंत हैं, जो आखिरी मौके तक दम लगा देने वाले खिलाड़ी के तौर पर जाने जाते हैं। 
मेरा सहारा तू ही तू

दुनिया में जब सारे सहारे दूर हो जाते हैं, तब आध्यात्म ही वह सहारा होता है, जो संबल बनकर हमारे साथ रहता है। इसके महत्व को जानते हुए हमारे देश के अलावा विदेशियों ने भी ये मान लिया है कि आध्यात्म ही हर समस्या का समाधान है।


रामभांड, यह नाम उस शख्स का है, जिसने आध्यात्म के लिए इंग्लैंड को छोड़कर भारत आना पसंद किया, वह भी उन परिस्थितियों में, जबकि परिवार इस फैसले में उनके साथ नहीं था। राम, किसी भी स्थापित आध्यात्मिक संत की तरह परिधान नहीं धारण करते, ना ही आध्यात्म उनके लिए एकांत या पहाड़ों में खोजने का ज्ञान है।
वे जिस आध्यात्म को जानते हैं, उसे पाने के लिए किसी भी तरह के त्याग की सलाह भी नहीं देते। मुंबई से प्रोडक्शन इंजीनियरिंग, फिर इंग्लैंड का सफर और फिर तेरह साल वहां रहने के बाद मात्र आध्यात्मिक सुख के लिए भारत की मिट्टी को अपनाने का विचार कोई विरला ही कर सकता है। खुद रामभांड के शब्दों में संत तुकाराम और संत ज्ञानेश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा मेरे मन में हमेशा रही, लेकिन इसे मैं आध्यात्म के प्रति रुचि होने का कारण कम मानता हूं। मैं अपने आध्यात्म के प्रति रुझान का पूरा श्रेय इसके सहारे सफलता मिलने को देता हूं।
स्प्रिचुअल्टी कैन ब्रिंग सोशल चेंजेज यानी अध्यात्म से सामाजिक बदलाव हो सकता है। यह कहना है, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर का। उनके अनुसार महात्मा गांधी बड़े आध्यात्मिक व्यक्ति थे। वे रोज बैठकर सत्संग किया करते थे। सबको सम्मति दे भगवान वो गाते थे। उसकी वजह से ही लोग जगह-जगह उनसे जुडऩे लगे और एक बड़ा आंदोलन शुरू हो गया। आध्यात्म में वो शक्ति है, जो प्रेरणादायी बनकर हमारे साथ रहती है। आदित्य बिड़ला ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन फॉर एजूकेशन प्रोजेक्ट्स नीरजा बिड़ला के शब्दों में मैं अपने एक्सपीरियंस से यही कह सकती हूं कि आध्यात्म के सहारे हम अपने काम को मन लगाकर करते हैं और फल की चिंता ईश्वर पर छोड़ देते हैं। आज हर व्यक्ति की सफ लता के लिए आध्यात्म बेहतरीन जरिया साबित हो सकता है। मेरा मानना है कि हर काम में अपना बेस्ट दो और फिर भगवान पर छोड़ दो। आपकी मेहनत के अनुसार भगवान आपको फल जरूर देंगे।
आध्यात्म के मायने हर व्यक्ति के लिए अलग हैं। अगर कोई इसमें अपने काम की सफलता देखता है तो कोई इसे परमेशवर की भक्ति में लीन होना मानता है। संगीतकार एआर रहमान मानते हैं कि उनका संगीत आध्यात्म से जुड़ा है और सूफी शैली ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है। उनके अनुसार सूफी शैली इस्लाम का एक आध्यात्मिक अंग है, जो अपार प्रेम और सर्वव्यापकता से जुड़ा है। वे इससे बहुत प्रभावित हैं। ऑस्कर पुरस्कार जीत चुके रहमान ने ऑस्कर समारोह में कहा था कि उनके पास प्यार और नफरत में से एक को चुनने का विकल्प था और उन्होंने प्यार को चुना। खुद उनके शब्दों में मेरे जीवन में बहुत नकारात्मक चीजें सामने आती रहती हैं, लेकिन मैंने फैसला किया है कि मैं सकारात्मक रवैया रखूंगा।
इतनी सफलता मिलने के बाद भी रहमान काफी नम्र दिखते हैं। इस तरह के व्यक्तित्व के पीछे कारण बताते हुए वे कहते हैं, मैं एक दक्षिण भारतीय हूं और दक्षिण भारतीय बहुत सीधे-सादे लोग होते हैं। फिर मैं सूफियाना शैली से भी बहुत प्रभावित हूं, जो प्रेम और करुणा पर आधारित है। दूसरों के प्रति प्रेम का भाव मुझे आध्यात्म से जोड़े रखता है। आध्यात्म की शक्ति को देखते हुए मनीषा कोइराला ने उन दिनों इस राह पर चलना स्वीकार किया, जब वे दांपत्य संबंध में मुश्किलों का सामना कर रही थीं। अपने गम को दूर करने के लिए पहले उन्होंने शराब का सहारा लिया, लेकिन जब इससे भी वो गम भुला नहीं पाईं तो उन्होंने आध्यात्म का सहारा लिया। उन्हें विंध्यांचल में विंध्वासिनी मंदिर में समय बिताते हुए देखा जाता है। उन्होंने चे न्नई से 80 किलोमीटर दूर आध्यात्म विश्वविद्यालय में कुछ समय भी बिताया है। परेशानियों से घिर जाने के बाद जब कोई हल सामने नहीं होता तो आम व्यक्ति ही क्या मशहूर हस्तियां भी ईश्वर के सामने नतमस्तक हो जाती हैं। ऐसा ही कुछ पॉप सिंगर ऊषा उथुप के साथ उस समय हुआ, जब एक अपार्टमेंट की लिफ्ट में फंस गई थीं। ऊषा ने बीस साल की उम्र से एक नाइट क्लब में गाने की शुरुआत की। वे कहती हैं, एक बार लिफ्ट का दरवाजा बंद तो हुआ, लेकिन लिफ्ट नहीं चली। मैंने सारे बटन दबाए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। तभी मेरे मन में बुरे-बुरे ख्याल आने लगे। मैं लिफ्ट में अकेली थी और बार-बार यह लग रहा था कि कहीं ये लिफ्ट मेरे सिर पर न गिर जाए। मैंने तुरंत भगवान को याद करना शुरू किया। कुछ देर बाद लिफ्ट चली और जब मैं लिफ्ट से बाहर निकली तो मैंने देखा वहां लोगों की भीड़ लगी थी और वे सभी मेरे लिए प्रार्थना कर रहे थे। तभी मुझे अहसास हुआ कि भगवान उस बुरे वक्त में मेरे साथ थे और उन्होंने मेरी मदद करके मुझे बचाया।
आध्यात्म को पहचानते हुए अब हमारे देश के अलावा विदेशी भी इस शक्ति के प्रति आकृष्ट हो रहे हैं। मॉडल, हॉलीवुड अभिनेत्री और फिल्म निर्माता डेमी मूर और उनके पति कचर छह साल के विवाह के बाद 2011 में एक-दूसरे से अलग हो गए। तब मूर ने अपने अन्दर की नकारात्मकता को खत्म करने और मानसिक शांति पाने के लिए मेक्सिको के ज्योतिष और परामर्शदाता पेद्दी मूर की मदद ली। मूर मानती हैं कि मन की शांति हर व्यक्ति के लिए सबसे जरूरी होती है और जहां भी हमें शांति मिलती है, हम वहीं रुक जाते हैं। ऐसा ही कुछ आध्यात्म के साथ भी है। इसे पाने के लिए ही श्रद्धालु पवित्र स्थानों में कभी नंगे पैर तो कभी भूखे-प्यासे शीष झुकाने के लिए पहुंच ही जाते हैं, जहां ईश्वर के सामने नतमस्तक होकर वह दुनिया की हर समस्या का समाधान पा जाते हैं।
युवाओं की प्रेरणा बना आध्यात्म विज्ञान
प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था कि धर्म के बिना विज्ञान लंगड़ा है एवं विज्ञान के बिना धर्म अंधा है। आइंस्टीन के सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आज भी खोज जारी है। सच तो यह है कि सदियों से चली आ रही साधु-संतों के अध्यात्म की ताकत विज्ञान भी पहचानने लगा है। वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि कई खोजें जो विज्ञान में अब तक हुई हैं, धर्म के अनुयाइयों ने सदियों पहले उनकी भविष्यवाणी कर दी थी। दरअसल आध्यात्म विज्ञान एक मूल विज्ञान है, जिसे पूर्ण ज्ञान माना जाता है, क्योंकि जब तक किसी कार्य या ज्ञान के माध्यम से हम ईश्वर तक न पहुंचें, तब तक ज्ञान अधूरा रहता है और अधूरा ज्ञान हमेशा घातक होता है।