मोहब्बत किसको कहते हैं
प्रसिद्ध कवि और लेखक कुमार अंबुज ने कविता के माध्यम से लोगों को सोचने का नया और वास्तविक नजरिया दिया है। प्रेम के प्रति उनके विचार कुछ इस तरह सामने आते हैं।
निकट पारिवारिक संबंधों केे अलावा बाकी सारे प्रेम दैहिक आकांक्षा से प्रेरित होते हैं।
वैसे हर तरह का प्रेम एक स्थगित अवसाद है।
प्रेम यदि सहचर्य में बदल जाए तो उपलब्धि है।
वह एक अविस्मरणीय अनुभव तो है ही।
प्रेम को प्रस्तुत करने वाली कविता की चंद पंक्तियां वे कुछ इस तरह बताते हैं-
यह सूर्यास्त की तस्वीर है
देखने वाला इसे सूर्योदय भी समझ सकता है
प्रेम के वर्तुल हैं सब तरफ
इनका कोई पहला और आखिरी सिरा नहीं
जहां से थाम लो वही शुरुआत, जहां छोड़ दो वही अंत
रेत की रात के अछोर आकाश में ये तारे
चुंबनों की तरह टिमटिमाते हैं
और आकाशगंगा मादक मद्धिम चीख की तरह
इस छोर से उस छोर तक फैली है
रात के अंतिम पहर में यह किस पक्षी की व्याकुलता है
किस कीड़े की किर्र किर्र चीं चिट
हर कोई इसी जनम में अपना प्रेम चाहता है
कई बार तो बिल्कुल अभी, ठीक इसी क्षण
आविष्कृत हैं इसीलिए सारी चेष्टाएं, संकेत और भाषाएं
चारों तरफ चंचल हवा है वानस्पतिक गंध से भरी
प्रेम की स्मृति में ठहरा पानी चांदनी की तरह चमकता है
और प्यास का वर्तमान पसरा है क्षितिज तक
तारों को देखते हुए आता है याद कि जो छूट गया
जो दूर है, अलभ्य है जो, वह भी प्रेम है
दूरी चीजों को टिमटिमाते नक्षत्रों में बदल देती है॥
गजलों की दुनिया में राहत इंदौरी वो नाम है जिसने फिल्म जगत में अपने गीतों की धूम तो मचाई ही लेकिन शेरों शायरी की दुनिया में भी एक अलग अंदाज से पेश होकर अलग मुकाम बनाया। मुशायरों की शान कहे जाने वाले राहत इंदौरी की नजरों में मोहब्बत जिंदगी है जिसके बिना जिंदगी का तसव्वुर नहीं है। हर मजहब में मोहब्बत को जीवन का आधार इसकी अहमियत को समझते हुए ही बनाया गया है। राहत जिंदगी का अव्वल और आखिर मोहब्बत को ही मानते हैं। उनके कुछ शेर इस तरह हैं-
न जाने कौन सी मजबूरियों का कैदी हो
वो साथ छोड़ गया है तो बेवफा न कहो।
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यंू है।
नीलेश रघुवंशी की कविताएं गहरे अंधेरे के बीच से रोशनी की तरह बिखरती कविताओं के रूप में पहचानी जाती हैं। प्रेम के प्रति अपने विचार व्यक्त करते हुए नीलेश कहती हैं दो प्रेम करने वालों के बीच आपसी समझ और खुशी होना जरूरी है। प्रेम सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए न हो, बल्कि उसमें दूसरों की खुशी का भी उतना ही ख्याल रखा जाए। इस विषय पर शमशेर बहादुर सिंह की कविता उन्हें प्रभावित करती है-
रूप नहीं मेरे पास
द्रव्य नहीं मेरे पास
फिर भी मैं करता हूं प्यार।
नीलेश रघुवंशी द्वारा लिखित कविता प्रेम का प्रदर्शन इस अंदाज में करती है-
मुझे प्रेम चाहिए घनघोर बारिश सा
कड़कती धूप में, घनी छांव सा
ठिठुरती ठंड में, अलाव सा प्रेम चाहिए
मुझे अलाव सा प्रेम चाहिए, सारी दुनिया रहती हो जिसमें॥
नीलेश के शब्दों में जिस तरह युवा पीढ़ी के लिए वेलेंटाइन डे प्रेम का प्रतीक है उसी तरह हमारे देश में बसंत ऋतु को प्रेम का पर्याय माना जाता है। पे्रम में स्वतंत्रता मायने रखती है। एक-दूसरे को आजादी देते हुए, उस पर विश्वास बनाए रखते हुए परस्पर साथ निभाना सच्चे प्यार की निशानी है। शायरों की नजरों में प्यार के अनेक रूप हैं जो अलग-अलग अंदाज में उनकी कलम से कागज पर उतरते रहते हैं। उर्दू के मशहूर शायर मंजर भोपाली की नजरों में सारी कायनात मोहब्बत के लिए बनी है। वह हर चीज जिसमें रूह है उसे प्यार करने का हक है इसीलिए सिर्फ इंसान ही क्या, बल्कि परिंदे भी प्यार करते हैं। पहले प्यार का रूप अलग था और आज इंटरनेट के दौर में प्यार करने वालों की सोच और अंदाज बदले हैं। इन सबके बीच प्यार का विरोध करने वालों की कोई जगह नहीं होना चाहिए।
दिल के कागज पर आज प्यार लिखे
एक ही लफ्ज बार-बार लिखे
चांदनी इस जमीं पर बिखराएं
आइए प्यार हम भी अपनाएं
आज कांटे बिछाने वालों को
प्यार का हम सबक सिखाएंगे
आओ हम प्यार की कसम खाएं
एक दूजे के आज हो जाएं।
शायरी की दुनिया में एक ऐसा नाम जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। वो है अंजुम रहबर। अंजुम के लफ्जों में मोहब्बत का जिक्र करें तो बेशक मोहब्बत के सफर में उतार चढ़ाव आते हैं। जिंदगी बनती या बिगड़ती है। वो जमाना और था जब लोग मोहब्बत के मायने समझते थे। मोहब्बत भरी लाखों चिट्ठियों को प्यार भरे दिल हमेशा संभालकर रखते थे और उन्हेें बार-बार पढ़कर अपने मेहबूब को याद करते थे। आज की पीढ़ी मोहब्बत का इजहार करने के लिए गुलाब देती है, जबकि मेरी नजरों में शाख से गुलाब तोडऩा भी उसका दिल तोडऩा ही है।
फूल उसने भेजे हैं
फूल सूख जाएंगे
साफ ये इशारा है
इंतजार मत करना।
प्यार में मजबूरियों का जिक्र करते हुए अंजुम लिखती हैं
मजबूरियों के नाम पर सब छोडऩा पड़ा
दिल तोडऩा कठिन था।
मगर तोडऩा पड़ा
मेरी पसंद और थी
सबकी पसंद और
इतनी जरा सी बात पर घर छोडऩा पड़ा।
प्यार के नाम पर अंजुम कहती हैं
ये किसी धाम का नहीं होता
ये किसी काम का नहीं होता
प्यार में जब तलक नहीं टूटे
दिल किसी काम का नहीं होता।
प्यार के दुश्मन जमाने में कम नहीं हैं। कभी धर्म के नाम पर तो कभी अमीरी गरीबी के फासले प्यार करने वालों को जुदा कर देते हैं
दफना दिया गया मुझे चांदी की कब्र में
मैं जिसको चाहती थी वो लड़का गरीब था।
मिलना था इत्तेफाक बिछडऩा नसीब था
वो इतनी दूर हो गया जितना करीब था।
मोहब्बत क्या है, कोई इसे वफा का दूसरा नाम मानता है तो कोई मोहब्बत के नाम पर मर मिटने की बात करता है। मोहब्बत में डूबे दो दिल मर कर भी अमर हो जाते हैं। सदियों से चले आ रहे रिश्तों में सबसे खास रिश्ता है मोहब्बत का जिसे प्रसिद्ध लेखकों ने अपनी कलम के माध्यम से बेहद खूबसूरती के साथ कागज पर उतारा है। वेलेंटाइन वीक बना है प्यार करने वालों के लिए। इस वीक का हर दिन खास होता है। पेश है इस मौके पर मोहब्बत को जिंदगी मानने वाले मशहूर साहित्यकारों के दिल की बात जो उन्होंने चंद लाइनों में उतारने की कोशिश की है...
प्रसिद्ध कवि और लेखक कुमार अंबुज ने कविता के माध्यम से लोगों को सोचने का नया और वास्तविक नजरिया दिया है। प्रेम के प्रति उनके विचार कुछ इस तरह सामने आते हैं।
निकट पारिवारिक संबंधों केे अलावा बाकी सारे प्रेम दैहिक आकांक्षा से प्रेरित होते हैं।
वैसे हर तरह का प्रेम एक स्थगित अवसाद है।
प्रेम यदि सहचर्य में बदल जाए तो उपलब्धि है।
वह एक अविस्मरणीय अनुभव तो है ही।
प्रेम को प्रस्तुत करने वाली कविता की चंद पंक्तियां वे कुछ इस तरह बताते हैं-
यह सूर्यास्त की तस्वीर है
देखने वाला इसे सूर्योदय भी समझ सकता है
प्रेम के वर्तुल हैं सब तरफ
इनका कोई पहला और आखिरी सिरा नहीं
जहां से थाम लो वही शुरुआत, जहां छोड़ दो वही अंत
रेत की रात के अछोर आकाश में ये तारे
चुंबनों की तरह टिमटिमाते हैं
और आकाशगंगा मादक मद्धिम चीख की तरह
इस छोर से उस छोर तक फैली है
रात के अंतिम पहर में यह किस पक्षी की व्याकुलता है
किस कीड़े की किर्र किर्र चीं चिट
हर कोई इसी जनम में अपना प्रेम चाहता है
कई बार तो बिल्कुल अभी, ठीक इसी क्षण
आविष्कृत हैं इसीलिए सारी चेष्टाएं, संकेत और भाषाएं
चारों तरफ चंचल हवा है वानस्पतिक गंध से भरी
प्रेम की स्मृति में ठहरा पानी चांदनी की तरह चमकता है
और प्यास का वर्तमान पसरा है क्षितिज तक
तारों को देखते हुए आता है याद कि जो छूट गया
जो दूर है, अलभ्य है जो, वह भी प्रेम है
दूरी चीजों को टिमटिमाते नक्षत्रों में बदल देती है॥
गजलों की दुनिया में राहत इंदौरी वो नाम है जिसने फिल्म जगत में अपने गीतों की धूम तो मचाई ही लेकिन शेरों शायरी की दुनिया में भी एक अलग अंदाज से पेश होकर अलग मुकाम बनाया। मुशायरों की शान कहे जाने वाले राहत इंदौरी की नजरों में मोहब्बत जिंदगी है जिसके बिना जिंदगी का तसव्वुर नहीं है। हर मजहब में मोहब्बत को जीवन का आधार इसकी अहमियत को समझते हुए ही बनाया गया है। राहत जिंदगी का अव्वल और आखिर मोहब्बत को ही मानते हैं। उनके कुछ शेर इस तरह हैं-
न जाने कौन सी मजबूरियों का कैदी हो
वो साथ छोड़ गया है तो बेवफा न कहो।
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यहीं आके फिसलते क्यंू है।
नीलेश रघुवंशी की कविताएं गहरे अंधेरे के बीच से रोशनी की तरह बिखरती कविताओं के रूप में पहचानी जाती हैं। प्रेम के प्रति अपने विचार व्यक्त करते हुए नीलेश कहती हैं दो प्रेम करने वालों के बीच आपसी समझ और खुशी होना जरूरी है। प्रेम सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए न हो, बल्कि उसमें दूसरों की खुशी का भी उतना ही ख्याल रखा जाए। इस विषय पर शमशेर बहादुर सिंह की कविता उन्हें प्रभावित करती है-
रूप नहीं मेरे पास
द्रव्य नहीं मेरे पास
फिर भी मैं करता हूं प्यार।
नीलेश रघुवंशी द्वारा लिखित कविता प्रेम का प्रदर्शन इस अंदाज में करती है-
मुझे प्रेम चाहिए घनघोर बारिश सा
कड़कती धूप में, घनी छांव सा
ठिठुरती ठंड में, अलाव सा प्रेम चाहिए
मुझे अलाव सा प्रेम चाहिए, सारी दुनिया रहती हो जिसमें॥
नीलेश के शब्दों में जिस तरह युवा पीढ़ी के लिए वेलेंटाइन डे प्रेम का प्रतीक है उसी तरह हमारे देश में बसंत ऋतु को प्रेम का पर्याय माना जाता है। पे्रम में स्वतंत्रता मायने रखती है। एक-दूसरे को आजादी देते हुए, उस पर विश्वास बनाए रखते हुए परस्पर साथ निभाना सच्चे प्यार की निशानी है। शायरों की नजरों में प्यार के अनेक रूप हैं जो अलग-अलग अंदाज में उनकी कलम से कागज पर उतरते रहते हैं। उर्दू के मशहूर शायर मंजर भोपाली की नजरों में सारी कायनात मोहब्बत के लिए बनी है। वह हर चीज जिसमें रूह है उसे प्यार करने का हक है इसीलिए सिर्फ इंसान ही क्या, बल्कि परिंदे भी प्यार करते हैं। पहले प्यार का रूप अलग था और आज इंटरनेट के दौर में प्यार करने वालों की सोच और अंदाज बदले हैं। इन सबके बीच प्यार का विरोध करने वालों की कोई जगह नहीं होना चाहिए।
दिल के कागज पर आज प्यार लिखे
एक ही लफ्ज बार-बार लिखे
चांदनी इस जमीं पर बिखराएं
आइए प्यार हम भी अपनाएं
आज कांटे बिछाने वालों को
प्यार का हम सबक सिखाएंगे
आओ हम प्यार की कसम खाएं
एक दूजे के आज हो जाएं।
शायरी की दुनिया में एक ऐसा नाम जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। वो है अंजुम रहबर। अंजुम के लफ्जों में मोहब्बत का जिक्र करें तो बेशक मोहब्बत के सफर में उतार चढ़ाव आते हैं। जिंदगी बनती या बिगड़ती है। वो जमाना और था जब लोग मोहब्बत के मायने समझते थे। मोहब्बत भरी लाखों चिट्ठियों को प्यार भरे दिल हमेशा संभालकर रखते थे और उन्हेें बार-बार पढ़कर अपने मेहबूब को याद करते थे। आज की पीढ़ी मोहब्बत का इजहार करने के लिए गुलाब देती है, जबकि मेरी नजरों में शाख से गुलाब तोडऩा भी उसका दिल तोडऩा ही है।
फूल उसने भेजे हैं
फूल सूख जाएंगे
साफ ये इशारा है
इंतजार मत करना।
प्यार में मजबूरियों का जिक्र करते हुए अंजुम लिखती हैं
मजबूरियों के नाम पर सब छोडऩा पड़ा
दिल तोडऩा कठिन था।
मगर तोडऩा पड़ा
मेरी पसंद और थी
सबकी पसंद और
इतनी जरा सी बात पर घर छोडऩा पड़ा।
प्यार के नाम पर अंजुम कहती हैं
ये किसी धाम का नहीं होता
ये किसी काम का नहीं होता
प्यार में जब तलक नहीं टूटे
दिल किसी काम का नहीं होता।
प्यार के दुश्मन जमाने में कम नहीं हैं। कभी धर्म के नाम पर तो कभी अमीरी गरीबी के फासले प्यार करने वालों को जुदा कर देते हैं
दफना दिया गया मुझे चांदी की कब्र में
मैं जिसको चाहती थी वो लड़का गरीब था।
मिलना था इत्तेफाक बिछडऩा नसीब था
वो इतनी दूर हो गया जितना करीब था।